चैतन्य भारत न्यूज
पटना. उत्तर प्रदेश और अन्य पड़ोसी राज्यों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार के फैलने का मुख्य कारण लीची नहीं बल्कि स्क्रब टाइफस नामक एक बैक्टीरिया से होने वाला इंफेक्शन है। यह बैक्टीरिया घर में चूहे और अन्य छोटे जानवरों से फैलता है। उनके जरिए ही यह इंसानों में आता है।
इंडियन मेडिकल कॉउन्सिल रिसर्च के प्रोजेक्ट के अंतर्गत पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉक्टरों की रिसर्च में यह तथ्य सामने आए हैं। यह रिपोर्ट इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कंटेम्परेरी पीडियाट्रिक्स में भी प्रकाशित की गई है। पीएमसीएच में शिशु विभाग के अध्यक्ष और प्रोजेक्ट हेड डॉ. अनिल कुमार जायसवाल ने बताया कि पिछले साल गर्मियों में सिर्फ मुजफ्फरपुर में ही 300 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। पहले चमकी बुखार ने गोरखपुर में कहर बरपाया था।
जब मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौतें हो रही थी उस समय डॉक्टर ने इसे भूख से भी जोड़ा था। डॉक्टरों का कहना था कि गरीब परिवार के बच्चे रात में भूखे सो जाते हैं और वह सुबह लीची खाते हैं इससे उनकी मौत हो जाती है। लेकिन पीएमसीएच की रिपोर्ट ने इस कारण को बिल्कुल गलत बताया है। आईसीएमआर प्रोजेक्ट के तहत पीएमसीएच के वैज्ञानिकों की टीम ने 500 से ज्यादा बीमार मरीजों का अध्ययन किया था, इनमें स्क्रब टायफस बैक्टीरिया पाया गया जिसका लीची से कोई लेना-देना नहीं है।
पीएमसीएच के वरिष्ठ डॉ. लोकेश शर्मा ने बताया कि, बिहार, उत्तर प्रदेश एवं आसपास के पड़ोसी राज्यों में फैलने वाले चमकी बुखार के उपचार में सेंट्रल ग्रुप की दवाई बेहतर काम करती है। पीएमसीएच में आने वाले बच्चों के उपचार में इन्हें कारागार पाया गया। बता दें चमकी बुखार की चपेट में आकर बिहार में करीब 170 बच्चों की मौत हो गई थी।