चैतन्य भारत न्यूज
अगरतला. पिछले काफी समय से चली आ रही ब्रू समुदाय की समस्या का हल निकालने के लिए केंद्र सरकार ने ऐलान किया है कि इस समुदाय के लोग अब स्थायी रूप से त्रिपुरा में बसेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और ब्रू शरणार्थियों के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किया। इस दौरान त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा भी मौजूद थे।
इस समझौते के साथ ही ब्रू शरणार्थी समस्या का समाधान हो गया है। अमित शाह ने कहा कि, त्रिपुरा में करीब 30,000 ब्रू शरणार्थियों को बसाया जाएगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए 600 करोड़ के पैकेज की घोषणा की है। आइए ऐसे में जानते हैं आखिर कौन हैं ब्रू शरणार्थी?
ब्रू शरणार्थी कहीं बाहर के नहीं बल्कि भारत के ही शरणार्थी हैं। इन्हें ब्रू (रियांग) जनजाति भी कहा जाता है। ब्रू समुदाय को मिजोरम का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक आदिवासी समूह कहा जाता है। इस समुदाय के लगभग 30 हजार लोग पिछले 23 सालों से उत्तरी त्रिपुरा के शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। यह समूह खुद को म्यांमार के शान प्रांत का मूल निवासी मानता है। मिजोरम में मिजो जनजातियों का कब्जा बनाए रखने के लिए मिजो उग्रवाद ने कई जनजातियों को निशाना बनाया जिसे वो बाहरी समझते थे। मिजो जनजाति ब्रू को ‘बाहरी’ कहती है। 1997 अक्टूबर में ब्रू जनजाति के लोगों के खिलाफ जमकर हिंसा हुई। इस हिंसा में दर्जनों गांवों के सैकड़ों घर जला दिए गए थे। इसके बाद से ही ब्रू जनजाति के लोग अपनी जान बचाने के लिए रिलीफ कैंपों में रह रहे हैं।
मिलेंगी ये सुविधाएं
इस जनजाति के हालात इतने खराब है कि इन लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलती हैं। ऐसे में इस समझौते के तहत उन्हें जीवन यापन के लिए सुविधाएं दी जाएगी। जानकारी के मुताबिक, ब्रू शरणार्थियों को 2 साल तक 5000 रुपए प्रति महीने और मुफ्त राशन दिया जाएगा। साथ ही इन्हें 4 लाख रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के साथ 40 से 30 फुट का प्लॉट भी मिलेगा। इनके अलावा ब्रू शरणार्थियों को अन्य कई तरह की सुविधाएं दी जाएंगी। उन्हें वोटर लिस्ट में भी जल्द ही शामिल किया जाएगा।