चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इसे अजा एकादशी, कामिका या अन्नदा एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी पर सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस साल अजा एकादशी 15 अगस्त यानी की शनिवार को पड़ रही है। इस दिन व्रत रखना और पूजा करने से कई सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं अजा एकादशी का महत्व और पूजा-विधि।
अजा एकादशी का महत्व
इस खास मौके पर भगवान विष्णु के स्वरूप ‘ उपेंद्र’ की पूजा-अर्चना की जाती है। शास्त्रों के मुताबिक, भगवान विष्णु को एकादशी बहुत अधिक प्रिय है। इसलिए जो भी भक्त पूरी श्रद्धा से इस व्रत को करते हैं वो भगवान की कृपा से संसार के सभी सुखों को प्राप्त कर लेते हैं। इस दिन पूजन और दान का भी विशेष महत्व है। भाद्रपद कृष्ण पक्ष में आने वाली यह एकादशी समस्त पापों का नाश करने वाली और शुभ फल देने वाली मानी जाती है।
अजा एकादशी की पूजा-विधि
- अजा एकादशी के दिन सूर्य के निकलने से पहले जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करें।
- इसके बाद पूरे घर में झाड़ू-पोछा लगाने के बाद घर में गौमूत्र का छिड़काव करें।
- भगवान विष्णु जी की प्रतिमा के सामने धूप, दीप, नेवैद्य, फूल और फल अर्पित करने चाहिए।
- विष्णु जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग जरूर करें। मान्यता है कि तुलसी का प्रयोग करने से विष्णु अति प्रसन्न होते हैं।
- इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं कर सकते हैं, लेकिन एक बार फलाहार किया जा सकता है।
- अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की कथा जरूर सुनें।