चैतन्य भारत न्यूज
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में अक्षय नवमी पर्व मनाया जाता है। इस नवमी को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल की आंवला नवमी 23 नवंबर को है। अक्षय नवमी की तिथि पर आंवले के प्रयोगों के साथ-साथ उसके पूजन की भी परंपरा है। आज हम आपको बताएंगे इसे अमर फल क्यों कहा जाता है और इसका वैज्ञानिक महत्व।
बहुत मूल्यवान है आंवला
पौराणिक दृष्टिकोण से आंवले को रत्नों के समान मूल्यवान माना गया है। कहा जाता है कि शंकराचार्य ने इसी फल को स्वर्ण में परिवर्तित कर दिया था। इस फल के सटीक प्रयोग से आयु, सौंदर्य और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं बल्कि आंवला ही एक मात्र ऐसा फल है जो सामान्यतः नुकसान नहीं करता। इस फल को नौजवानी का फल भी कहते हैं। कहा जाता है कि इसे ग्रहण करने से जल्दी बुढ़ापा नहीं आता है। इसलिए इसे अमर फल कहा जाता है।
आंवले का वैज्ञानिक महत्व
आंवले में विटामिन-सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। एक आंवले में विटामिन-सी की मात्रा चार नारंगी और आठ टमाटर या चार केले के बराबर मिलता है। इसलिए यह शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति में महत्वपूर्ण है। इसके नियमित सेवन से सामान्यतः रोग नहीं होते और सर्दी जुकाम भी नहीं होता है। साथ ही बाल लंबे और घने होते हैं, त्वचा चमकदार और सुंदर हो जाती है। आंवले के रस को शहद के साथ लेने से रक्त संबंधी समस्या दूर होती है। आंवले के नियमित सेवन से नेत्रज्योति और स्मरणशक्ति बढ़ती है।
आंवले के विशेष प्रयोग
- आंवले के वृक्ष के नीचे शयन, विश्राम और भोजन करने से बीमारियां और चिंताएं दूर हो जाती हैं।
- कहते हैं कि कार्तिक में आंवले का पौधा लगाने से संतान और धन की कामनाएं पूर्ण होती हैं।
- आंवले के फल को सामने रखकर कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से दरिद्रता दूर होती है।
- आंवले के फल को दान देने से मानसिक चिंताएं दूर होती हैं।
- आंवले के रस में तुलसी मिलाकर सेवन करें।