चैतन्य भारत न्यूज
अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। अक्षय तृतीया को बहुत ही शुभ तिथि मानी गई है। इस साल अक्षय तृतीया 26 अप्रैल, रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना पंचांग देखे किया जा सकता है। इस वजह से लोग वैवाहिक कार्यक्रम, धार्मिक अनुष्ठान, गृह प्रवेश, व्यापार, जप-तप और पूजा-पाठ करने के लिए अक्षय तृतीया का दिन ही चुनते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर क्यों मनाया जाता है अक्षय तृतीया का पर्व और क्या है इसका महत्व और मान्यताएं।
क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के छठें अवतार एवं ब्राह्माण जाति के कुल गुरु भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। परशुराम महर्षि जमदाग्नि और माता रेनुकादेवी के पुत्र थे। भगवान परशुराम आठ चिरंजीवियों में से एक हैं। इसलिए अक्षय तृतीया के शुभ दिन भगवान विष्णु की उपासना के साथ परशुराम जी की भी पूजा करने का विधान बताया गया है। इसके अलावा सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत इसी अक्षय तृतीया की शुभ तिथि से मानी जाती है। कहा जाता है कि अक्षय तृतीया पर मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ था। वेद व्यास जी ने इस शुभ दिन से ही महाभारत ग्रंथ लिखना आरंभ किया। बता दें बद्रीनाथ धाम के कपाट भी अक्षय तृतीया के दिन से ही खुलते हैं।
अक्षय तृतीया का महत्व
पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, अक्षय तृतीया पर जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं उनका अक्षय फल मिलता है। इस दिन शुभ मुहूर्त देखने की कोई आवश्यकता नहीं होती। मान्यता है कि इस दिन गृहस्थ लोगों को अपने धन वैभव में अक्षय बढ़ोतरी करने के लिए अपनी कमाई का कुछ हिस्सा धार्मिक कार्यों के लिए दान करना चाहिए। ऐसा करने से उनके धन और संपत्ति में कई गुना बढ़ोत्तरी होती है।
अक्षय तृतीया का मुहूर्त-
तृतीया तिथि प्रारंभ: 11:50 बजे (25 अप्रैल 2020)
तृतीया तिथि समापन: 13:21 बजे (26 अप्रैल 2020)