टीम चैतन्य भारत
फिल्म : अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है
स्टारकास्ट : मानव कॉल, नंदिता दस, सौरभ शुक्ला, किशोर कदम
डायरेक्टर: सौमित्र रानाडे
मूवी टाइप: ड्रामा
1980 में रिलीज हुई फिल्म ‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’ में नसीरुद्दीन शाह और शबाना आजमी मुख्य किरदार में थे। यह एक मिडिल क्लास आदमी की कहानी थी, जिसे बहुत गु्स्सा आता था। आज रिलीज हुई फिल्म का भी यही नाम है। हालांकि, दोनों फिल्मों की कहानी अलग है सिर्फ फिल्म का कॉन्सेप्ट और एक्टर का नाम एक जैसा है।
कहानी : फिल्म की कहानी अल्बर्ट पिंटो (मानव कौल) नाम के एक मिडिल क्लास आदमी पर आधारित है जिसकी अब तक शादी नहीं हुई है लेकिन उसकी एक गर्लफ्रेंड है जिसका नाम स्टेला (नंदिता दास)। भ्रष्टाचार के आरोप में अल्बर्ट पिंटो के पिता सस्पेंड कर दिए जाते हैं। अल्बर्ट के पिता एक ईमानदार कर्मचारी होते हैं और वह खुद पर लगे आरोप बर्दाश्त नहीं कर पाते जिससे परेशान होकर वह खुदकुशी कर लेते हैं। पिता की मृत्यु के बाद अल्बर्ट का दिमाग खराब हो जाता है और वो बिना किसी को बताए पिता के दुश्मनों से बदला लेने निकल पड़ता है। अल्बर्ट के जाने के बाद गर्लफ्रेंड उसके गुम होने की रिपोर्ट दर्ज कराती है। इस दौरान अल्बर्ट को एक साथी (सौरभ शुक्ला) मिलता है। बीच-बीच में फिल्म की कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है। पिता की मौत से अल्बर्ट को गहरा सदमा पहुंचा है और ऐसे में जब खुद का बच्चा होने की बात होती है तो वह भड़क जाता है और कहता है इतने भ्रष्ट और खराब दुनिया में बच्चे को लाने की जरूरत नहीं है। जब भी अल्बर्ट को गरीब लोग खुश नजर आते हैं तो उसे आश्चर्य होता है कि ये लोग इतने खुश क्यों और कैसे हैं? अब अल्बर्ट अपने पिता की मौत का बदला कैसे लेगा यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
कलाकारों की एक्टिंग : मानव कौल, नंदिता दास और सौरभ शुक्ला जैसे कलाकारों ने हमेशा की तरह इस बार भी बेहतरीन प्रदर्शन से फिल्म में कुछ हद तक जान डाल दी। सौरभ अपनी कॉमेडी टाइमिंग और साथ ही एक्टिंग से दर्शकों को पूरी फिल्म में प्रभावित करते रहेंगे। मानव ने अल्बर्ट पिंटो का किरदार बखूबी निभाया है। नंदिता दास के काम की बात करे तो हमेशा की तरह इस बार भी उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया।
क्यों देखे फिल्म : फिल्म की कहानी सीधी है और इसमें कोई मसाला नही है। अगर आप मनोरंजन के हिसाब से फिल्म देखने जा रहे हैं तो अपना प्लान कैंसिल कर दीजिए। फिल्म की कहानी काफी स्लो है जो बहुत से दर्शकों द्वारा नापसंद की जा सकती है।