चैतन्य भारत न्यूज
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत किया जाता है। यह व्रत इस वर्ष 01 सितंबर को पड़ रहा है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप में पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप के लिए व्रत रखा जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत सूत्र बांधने का नियम है। स्त्रियां दाएं हाथ और पुरुष बाएं हाथ में अनंत सूत्र बांधते हैं। मान्यता है कि अनंत सूत्र पहनने से सभी दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके अलावा अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन भी होता है। आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी का महत्व और पूजा-विधि।
अनंत चतुर्दशी का महत्व
हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना के बाद अनंत सूत्र बांधा जाता है। इस सूत्र में 14 गांठें लगाई जाती हैं। मान्यता है कि भगवान ने 14 लोक बनाए जिनमें सत्य, तप, जन, मह, स्वर्ग, भुव:, भू, अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल शामिल हैं। कहा जाता है कि अपने बनाए इन लोकों की रक्षा करने के लिए श्री हरि विष्णु ने अलग-अलग 14 अवतार लिए थे। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के इन्हीं 14 स्वरूपों की पूजा की जाती है।
अनंत चतुर्दशी की पूजा-विधि
- अनंत चतुर्दशी के दिन सबसे पहले स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद मंदिर में कलश स्थापना करें।
- कलश के ऊपर अष्ट दलों वाला कमल रखें और कुषा का सूत्र चढ़ाएं। आप चाहें तो विष्णु की तस्वीर की भी पूजा कर सकते हैं।
- इसके बाद कुषा के सूत्र को सिंदूरी लाल रंग, केसर और हल्दी में भिगोकर उसमें 14 गांठें लगाकर विष्णु जी का ध्यान करें।
- अब विष्णु की प्रतिमा की पूजा करें।
- पूजा के बाद पुरुष इस सूत्र को बाएं हाथ और महिलाएं दाएं हाथ में बांधे।
- इस दिन ब्राह्मण को भोजन और दान देना महत्वपूर्ण माना गया है।
- पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप अवश्य करें।
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
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