चैतन्य भारत न्यूज
अरुणाचल प्रदेश भारत गणराज्य का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। ‘अरुणाचल’ का अर्थ हिंदी में शाब्दिक अर्थ है ‘उगते सूर्य की भूमि’ (अरुण+अचल)। हर साल 20 फरवरी को अरुणाचल प्रदेश स्थापना दिवस मनाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं अरुणाचल प्रदेश से जुडी कुछ खास बातें।
अरुणाचल प्रदेश का इतिहास
अरूणाचल प्रदेश को पहले 20 जनवरी 1972 को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला था। लेकिन फिर 20 फरवरी, 1987 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। 1972 तक यह पूर्वोत्तर सीमांत एजेंसी के नाम से जाना जाता था। इस राज्य में 16 जिले हैं। राज्य की राजधानी ईटानगर पापुम पारा जिले में हैं। ईटानगर नाम ईटा किले पर पड़ा है जिसका अर्थ है ईंटों का किला, जिसे 14वीं सदी पूर्व बनाया गया था। कल्कि पुराण तथा महाभारत में अरूणाचल प्रदेश का उल्लेख मिलता है। यह पुराणों में वर्णित प्रभु पर्वत नामक स्थान है।
प्रदेश की कृषि और बागवानी
अरूणाचल प्रदेश के लोगों के जीवनयापन का मुख्य आधार कृषि है। यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यत: झूम खेती पर आधारित है। हालांकि अब नकदी फसलों, जैसे- आलू और बागवानी की फसलों, जैसे- सेब, संतरे और अनन्नास आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है।
बोली जाती हैं 30 भाषाएं
अरूणाचल प्रदेश भारत का ऐसा राज्य है जो भाषा के मामले में सबसे ज्यादा खास है। यहां वांचो, तागिन, डाफिया जैसी 30 भाषाएं बोली जाती हैं। यहां पर कुछ लोग चीनी भाषा भी बोलते हैं क्योंकि यहां से चीनी बॉर्डर जुड़ी हुई है। इस राज्य में 1603 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर है। ये बॉर्डर चीन, म्यानमार और भूटान से जुड़ी हुई है।
लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशन
अरुणाचल प्रदेश का सबसे लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशन तवांग है। यहां 400 साल पुरानी तवांग मॉनेस्ट्री है। ये दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मॉनेस्ट्री है। इससे बड़ी सिर्फ तिबत की पोटला पैलेस है। इसके अलावा यहां दिरांग, बोमडिला, टीपी, ईटानगर, मालिनीथान, लीकाबाली, पासीघाट, अलोंग, तेजू, मियाओ, रोइंग, दापोरिजो, नामदफा, भीष्मकनगर, परशुराम कुंड और खोंसा देखने लायक जगहें हैं।