चैतन्य भारत न्यूज
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि, ‘अगर कोई हिन्दू है तो वह देशभक्त ही होगा, क्योंकि यही हमारे धर्म के मूल में है और यही हिन्दुओं की प्रकृति भी है।’ संघ प्रमुख ने महात्मा गांधी की उस टिप्पणी को उद्धृत करते हुए यह बात कही, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी देशभक्ति की उत्पत्ति उनके धर्म से हुई है।
Will Bhagwat answer: What about Gandhi’s killer Godse? What about the men responsible for Nellie massacre, anti-1984 anti-Sikh & 2002 Gujarat pogroms?
It’s rational to assume that most INDIANS are patriots regardless of their faith. It’s only in RSS’s ignorant ideology….[1/2] https://t.co/fZv3GpmlIg
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) January 1, 2021
मोहन भागवत ‘मेकिंग ऑफ अ हिंदू पेट्रिएट- बैकग्राउंड ऑफ गांधीजीज हिंद स्वराज’ नाम की एक किताब का विमोचन करने दिल्ली पहुंचे थे। किताब के विमोचन के दौरान भागवत ने यह भी कहा था कि, चाहे जो भी परिस्थिति हो लेकिन कोई हिन्दू कभी भी देशद्रोही नहीं हो सकता है। संघ प्रमुख ने कहा, ‘गांधीजी ने कहा था कि मेरी देशभक्ति मेरे धर्म से निकलती है। मैं अपने धर्म को समझकर अच्छा देशभक्त बनूंगा और लोगों को भी ऐसा करने को कहूंगा। गांधीजी ने कहा था कि स्वराज को समझने के लिए स्वधर्म को समझना होगा।’ स्वधर्म और देशभक्ति का जिक्र करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि हिन्दू है तो उसे देशभक्त होना ही होगा क्योंकि उसके मूल में यह है। वह सोया हो सकता है जिसे जगाना होगा, लेकिन कोई हिन्दू भारत विरोधी नहीं हो सकता।
एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करके उन पर पलटवार करते हुए लिखा कि, ‘क्या भागवत जवाब देंगे: गांधी के हत्यारे गोडसे के बारे मे क्या कहना है? नेल्ली नरसंहार, 1984 सिख विरोधी दंगे और 2002 गुजरात नरसंहार के ज़िम्मेदार लोगों के लिए क्या कहना है?’
ओवैसी ने अगले ट्वीट में लिखा, ‘एक धर्म के अनुयायियों को अपने आप देशभक्ति का प्रमाण जारी किया जा रहा है और जबकि दूसरे को अपनी पूरी ज़िंदगी यह साबित करने में बितानी पड़ती है कि उसे यहां रहने और ख़ुद को भारतीय कहलाने का अधिकार है।’ ओवैसी ने आगे कहा, ‘ये मानना तर्कसंगत है कि अधिकांश भारतीय देशभक्त हैं भले ही उनका धर्म कुछ भी हो। लेकिन ये केवल आरएसएस की जाहिल विचारधारा में ही है कि केवल एक धर्म के अनुयायियों को देशभक्ति के प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं जबकि अन्य को अपना जीवन यह साबित करने में बिताना पड़ता है कि उन्हें भी यहां रहने का अधिकार है और वे अपने आप को भारतीय कह सकते हैं।’