चैतन्य भारत न्यूज
अयोध्या में प्रभु श्री राम के मंदिर निर्माण की घड़ी बेहद नजदीक आती जा रही है। भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण का रास्ता कोर्ट की चौखट से होकर निकला। इन दिनों राम मंदिर की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं। इस बीच खबर आई है कि मंदिर की नींव में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा, जिसमें मंदिर निर्माण का पूरा इतिहास दर्ज होगा। लेकिन मंगलवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने इस खबर को गलत बताया।
All reports about placing of a time capsule under the ground at Ram Temple construction site on 5th August are false. Do not believe in any such rumour: Champat Rai, General Secretary, Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust https://t.co/tAaZWsuJWn pic.twitter.com/HQ
— ANI (@ANI) July 28, 2020
ट्रस्ट के ही सदस्य ने किया था दावा
बता दें रविवार को राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने दावा किया था कि राम मंदिर की नींव में 2000 फीट नीचे एक टाइम कैप्सूल डाला जाएगा, जिससे कि भविष्य में मंदिर से जुड़े तथ्यों को लेकर कोई विवाद न रहे। अब इस दावे को ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने खारिज कर दिया है और कहा कि यह खबर गलता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
क्या होता है टाइम कैप्सूल?
टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है, जो एक विशेष प्रकार के धातु से बना होता है। यह धातु कई धातुओं का मिश्रण होता है, जो हजारों वर्षों तक सुरक्षित रह सकता है। रिपोर्ट्स में कहा गया था कि कैप्सूल के भीतर ताम्रपत्र पर राम मंदिर का इतिहास लिखा होगा, जिसमें राम मंदिर का नक्शा चित्र और साथ ही अहम जानकारी होगी।
लाल किले के नीचे भी डाला गया था टाइम कैप्सूल
टाइम कैप्सूल को जमीन के भीतर रखने का यह पहला मामला नहीं है। भारत के इतिहास में ऐसा पहले भी हो चुका है। 15 अगस्त 1973 को भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लाल किले के 32 फीट नीचे टाइम कैप्सूल अपने हाथों से डाला था। दावा किया जाता है कि इस टाइम कैप्सूल में आजादी के बाद 25 वर्षों का घटनाक्रम साक्ष्य के साथ मौजूद था। उस समय सरकार के इस फैसले को लेकर काफी विवाद भी हुआ था।