टीम चैतन्य भारत।
आज पूरे देश में माघ शुक्ल की पंचमी को वसंत पंचमी मनाई जा रही है। सभी लोग अपने-अपने घरों में ज्ञान की देवी यानी कि मां सरस्वती की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिए इस दिन का खास महत्व रहता है। इस दिन स्कूलों में मूर्ति की स्थापना की जाती है और पूरी आस्था और विश्वास के साथ सभी लोग पूजा करते हैं।
क्या है वसंत पंचमी का महत्व
वसंत पंचमी के दिन कोई भी महत्वपूर्ण काम किया जा सकता है। इस दिन को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। पढ़ाई की शुरुआत के लिए इसे सबसे बेहतर दिन माना जाता है। नई चीज सीखने के लिए भी यह सबसे अच्छा दिन होता है। इस दिन के बाद वसंत ऋतु की शुरुआत होती है।
इस दिन स्कूलों, शिक्षण संस्थानों और मंदिरों में खासतौर पर मां सरस्वती की प्रतिमा को पीले रंग के वस्त्रों और आभूषणों से सजाया गया है।
मां सरस्वती के जन्मदिन के रूप में भी इस दिन को मनाया जाता है। इस दिन को वाद्य यंत्रों, पुस्तकों, शस्त्रों, शास्त्रों की पूजा की जाती है। व्यापारी अपने बाट और बहीखाते की भी पूजा करते हैं। इस दिन ज्ञान की प्राप्ति होती है.
श्री कृष्ण ने शुरू करवाई थी पूजा
मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने मां सरस्वती की पूजा शुरू करवाई। इसके पहले मां सरस्वती को पूजा नहीं जाता था।श्रीकृष्ण बीज मंत्र को शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानते थे। सरस्वती नदी संकट में थी, इसलिए पूजा शुरू हुई। श्रीकृष्ण ने मां सरस्वती के आदर सम्मान करने का आग्रह किया।
कैसे करें पूजन
पूजा के स्थान को साफ करें। हल्दी और नैवेद्य रख लें। दान के लिए भोजन या धन निकाल लें। मां सरस्वती को सफेद या पीले वस्त्र पहनाएं। 8 साल से छोटी लड़की को भोजन दान दें। भोजन ना होने पर धन का दान करें। मुहूर्त के दौरान पूजा करें, ‘ऐं’ मंत्र का कम से कम 5 माला का जाप करें।
इस मंत्र का ज्यादा बार जाप करने से अधिक लाभ होगा। हल्दी की माला से जाप करें। अपने काम से संबंधित चीज की पूजा करें, मां से आशीर्वाद और ज्ञान मांगें, मां की पीले वस्त्रों में आराधना करें। मुहूर्त के दौरान जाप करें।
इस बार अमृतसिद्धी और शुभ योग
इस बार बसंत पंचमी पर अमृतसिद्धी और शुभ योग का उत्तम संयोग बन बन रहा है बसंत ऋतु में सरसों कर फसल के कारण धरती पीली नजर आती है। इसी लिए लोग पीले वस्त्र पहन कर बसंत का स्वागत करते हैं। इस दिन सूर्य उत्तारायण होता है।
पूजन के समय रखें ध्यान
मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित कर वंदना करें।
बच्चों को शिक्षा संबंधी सामग्री दें और पीला भोजन करें।
पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें।