चैतन्य भारत न्यूज
सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस महीने में शिवभक्त भोले बाबा के प्रति अपना प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए अलग-अलग कार्य करते हैं। मान्यता है कि, सावन महीने में जो भी भक्त भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का नाम जपता है उसके सातों जन्म तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। इन्हीं में से एक है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग जिसे प्रमुख माना गया है। आइए जानते हैं भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की विशेषता के बारे में।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का महत्व
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का छठा स्थान है। भीमाशंकर ज्योतिलिंग का वर्णन शिवपुराण में भी मिलता है। भीमाशंकर ज्योतिलिंग मंदिर का शिवलिंग काफी मोटा है। इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के पास ही भीमा नदी बहती है जो कृष्णा नदी में जाकर मिल जाती है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि, जो भक्त श्रृद्धा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं साथ ही उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की विशेषता
भीमाशंकर मंदिर का निर्माण नागर शैली की वास्तुकला से हुआ है। इस सुंदर मंदिर का शिखर नाना फड़नवीस द्वारा 18वीं सदी में बनाया गया था। नाना फड़नवीस द्वारा निर्मित हेमादपंथि की संरचना में बनाया गया एक बड़ा घंटा भीमशंकर की एक विशेषता है। इस मंदिर में दुनिया भर से लोग पूजा करने के लिए आते हैं। बता दें भीमाशंकर मंदिर के पास कमलजा मंदिर है। कमलजा पार्वती जी का अवतार हैं।
कहां है और कैसे पहुंचे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
यह मंदिर महराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किलोमीटर की दुरी पर सह्याद्रि नाम के पर्वत पर स्थित है।
हवाई मार्ग : महाराष्ट्र के पुणे शहर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पुणे हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है।
रेल मार्ग : नजदीकी रेलवे स्टेशन, पुणे रेलवे स्टेशन है। मुंबई से पुणे के लिए कुल 77 ट्रेने चलती है। मुंबई से पुणे पहुंचने में तीन से चार घंटे का समय लगता है।
सड़क मार्ग : मुंबई से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की दुरी 230 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से जाने के लिए तलेगांव, चाकन मंचर से होकर भीमाशंकर पहुंचना पड़ता है।