चैतन्य भारत न्यूज
आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहा जाता है। हिन्दू धर्म में इस अमावस्या को बेहद खास माना गया है। इस बार भौमवती अमावस्या 2 जुलाई यानी मंगलवार को है। शास्त्रों के मुताबिक, आषाढ़ मास में मंगलवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को हिंदू धर्म के लोग भौमवती अमावस्या के रूप में मनाते हैं। इसे पितृकर्म अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं भौमवती अमावस्या का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
भौमवती अमावस्या का महत्व
अमावस्या की तिथि हर चंद्र मास में पड़ती है। ग्रह-नक्षत्रों के मुताबिक, इस बार भौमवती अमावस्या पर धन योग रहेगा। भौमवती अमावस्या के दिन विशेष रूप से पितरों की शांति के लिए पूजा करने का महत्व है। इस दिन पितरों की शांति के लिए नदी तट पर बड़े-बड़े यज्ञ संपन्न किए जाते हैं। यही वजह है कि आषाढ़ अमावस्या को पितृकर्म अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके जरूरतमंदों को दान देने से एक हजार गौदान के समान पुण्य प्राप्त होता है।
भौमवती अमावस्या की पूजा-विधि
- इस दिन भगवान शिव की पूजा का अधिक महत्त्व है।
- भौमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करना शुभ माना जाता है।
- इस दिन कुंडली संबंधित दोष जैसे- पितृदोष, कालसर्प दोष, नागदोष आदि की शांति के उपाय भी किए जाते हैं।
- इस दिन पीपल की परिक्रमा कर, पीपल के पेड़ और भगवान विष्णु का पूजन करने से धन-समृद्धि में वृद्धि होती है।
- भौमवती अमावस्या के दिन पितरों के मोक्ष की प्राप्ती के लिए गंगा नदी में स्नान करने का अधिक महत्त्व है।
- इस दिन गरीबों भोजन कराने और धन दान करने से पुण्य प्राप्त होता है।
- इस दिन गाय, कुत्ते, कौए, भिखारी आदि को भोजन करवाना चाहिए।
भौमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष भौमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त 1 जुलाई मध्यरात्रि के बाद 3 बजकर 5 मिनट से होगा। जबकि इसकी सामाप्ति तिथि 2 जुलाई मध्यरात्रि 12 बजकर 46 मिनट तक होगी।
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