चैतन्य भारत न्यूज
वाराणसी. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) में डॉ. फिरोज खान को संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किए जाने को लेकर तो कई दिनों से विवाद चल ही रहा है और इसी बीच एक और विवाद सामने आ गया है। अब यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग ने बीए के नए सेमेस्टर से रामायण और महाभारत के साथ ही वैदिक काल के अध्याय को भी कोर्स से हटा दिया है। जिसके बाद छात्रों में आक्रोश देखने को मिला। कोर्स से महाभारत और रामायण को हटाए जाने को लेकर छात्रों ने विभागध्यक्ष के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई है।
ब्रिटिश काल के वर्णन को किताब में किया शामिल
जानकारी के मुताबिक, हर वर्ष बीए सेमेस्टर में रामायण, महाभारत और वैदिक काल के अध्याय को कोर्स में शामिल किया जाता था। लेकिन इस बार इन सभी अध्यायों को हटा दिया गया और इनके स्थान पर ब्रिटिश काल के वर्णन को शामिल किया गया है, जिसके कारण छात्र आक्रोशित हो गए है। छात्र इसे वामपंथी विचारधारा से जोड़ कर देख रहे हैं। साथ ही यह आरोप लगा रहे हैं कि बीएचयू में उनके ऊपर इस विचारधारा को थोपने की कोशिश की जा रही है।
वामपंथी विचारधारा को थोपने की कोशिश : छात्र
बीएचयू के छात्र अरुण चौबे ने स्थानीय मीडिया को कहा कि, ‘रामायण, महाभारत और वैदिक काल को हटाना गलत है। यहां वामपंथी विचारधारा को थोपने की कोशिश हो रही है, जिसका हम सभी छात्र विरोध करते हैं।’ इस बारे में इतिहास विभाग के प्रोफेसरों का कहना है कि, ‘सिलेबस बनाने वाली समिति के खिलाफ छात्र विरोध का रहे हैं। समिति की ओर से हमें ये आश्वासन मिला है कि रामायण, महाभारत और वैदिक काल को फिर से अध्याय में जोड़ा जा सकता है।’
मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति रद्द करने की मांग
गौरतलब है कि मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान को संस्कृत के लिए नियुक्त किए जाने पर छात्र 7 नवंबर से कुलपति आवास के बाहर छात्र धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले करीब 13 दिनों से बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में ताला बंद है। छात्रों ने धरने के दौरान ‘मिर्ची हवन’, बुद्धि-शुद्धि यज्ञ, रुद्राभिषेक के बाद सोमवार को हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ भी किया। छात्र नियुक्ति को महामना के आदर्शों और नियमों के विपरीत बताते हुए इसे रद्द करने की मांग पर अड़े हैं।