चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर मध्यप्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया। सिंधिया कांग्रेस का हाथ छोड़कर बुधवार को बीजेपी का दामन थामने वाले हैं। इन सब के बीच हर किसी के दिमाग में यह सवाल आ रहा है कि कभी कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे सिंधिया और भारतीय जनता पार्टी के बीच आखिर किस नेता ने ‘डील’ कराई? आइए जानते हैं कौन है वो शख्स जिसके कारण सिंधिया आखिरकार कांग्रेस छोड़कर भाजपा के नजदीक आए।
अंग्रेजी वेबसाइट ‘आउटलुक’ के मुताबिक, सिंधिया को बीजेपी के नजदीक लाने के पीछे बीजेपी के प्रवक्ता जफर इस्लाम का हाथ है। जफर ने ही सिंधिया को कांग्रेस से नाता तोड़ बीजेपी खेमे में लाने में अहम भूमिका निभाई है। बता दें जफर मीडिया का जाना-माना चेहरा है। वह अक्सर ही न्यूज चैनलों पर डिबेट शो में नजर आते रहते हैं।
विदेशी बैंक में काम करते थे जफर
राजनीति में आने से पहले जफर इस्लाम एक विदेशी बैंक के लिए काम करते थे जहां उनका लाखों रुपए वेतन था। लेकिन प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर वे भाजपा में शामिल हो गए और अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। कहा जाता है कि जफर, ज्योतिरादित्य सिंधिया को काफी समय से जानते थे। सिंधिया और जफर की दिल्ली में स्थित उनके घर में मुलाकात भी हो चुकी है। पिछले पांच महीनों से सिंधिया और जफर की मुलाकात का सिलसिला बढ़ गया। सूत्रों के मुताबिक, हाल ही के कुछ दिनों में सिंधिया और जफर की लगातार पांच बैठकें हुई थीं। इसके बाद खुद ज्योतिरदित्य सिंधिया ने अपनी तरफ से बीजेपी में आने की पेशकश की थी। इन मुलाकातों के बाद ही बीजेपी ने मध्य प्रदेश में ‘ऑपरेशन लोटस’ शुरू कर दिया था।
सिंधिया के अनुसार चला पूरा ऑपरेशन
करीबी सूत्रों ने बताया कि, इस पूरे ऑपरेशन में बीजेपी द्वारा सिर्फ लॉजिस्टिक और अन्य मदद दी गई। बाकी पूरा ऑपरेशन ज्योतिरदित्य सिंधिया के अनुसार ही चला। सोमवार और मंगलवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात के वक्त भी जफर वहां पर मौजूद थे।
संकट में कमलनाथ सरकार
पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद मंगलवार को ज्योदतिरादित्यऔ सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी से इस्तींफा दे दिया। उनके साथ 22 और भी विधायकों ने इस्तीफा दिया है। ऐसे में राज्य में कमलनाथ सरकार संकट में आ गई। इसी बीच कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के कुछ नेताओं को स्थिति संभालने की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं कांग्रेस के बचे हुए विधायकों को आज भोपाल से जयपुर ले जाया जाएगा।
कमलनाथ का दावा
सिंधिया के बगावती तेवर के बाद अब प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिरने की कगार पर है। हालांकि, फिर भी कमलनाथ का दावा है कि, ‘फिक्र करने की कोई बात नहीं है। हमारी सरकार फ्लोर टेस्ट पास कर लेगी।’
मप्र विधानसभा का गणित
बता दें मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। इनमें से दो सीट खाली है, जिसके बाद कुल संख्या 228 है। यदि कांग्रेस के 22 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है तो कुल संख्या 206 हो जाती है। यानी बहुमत क लिए 104 विधायकों की जरूरत होगी।