चैतन्य भारत न्यूज
कार चलाते समय हुए हादसे में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की मौत ज्यादा होती है। हाल ही में एक रिपोर्ट आई है जिसके मुताबिक, कार चलाते समय हुए हादसों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की मौत 73% अधिक होती है। इसका मुख्य कारण यह है कि कार के सेफ्टी फीचर्स महिलाओं के हिसाब से डिजाइन नहीं किए जाते हैं। इतना ही नहीं बल्कि क्रैश टेस्ट में भी ड्राइविंग सीट पर रखी जाने वाली डमी पुरुषों के औसत कद की होती है।
2003 में अमेरिका में इस मुद्दे को लेकर आवाजें उठीं तो कुछ कंपनियों ने महिला की 49 किलो की डमी का इस्तेमाल भी शुरू किया, लेकिन यह ज्यादा नहीं चला। नतीजतन सीट बेल्ट की एडजस्टमेंट तक पुरुषों के हिसाब से हो रही है। यह स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के प्रोफेसरों ने की है। रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाएं कद में पुरुषों से छोटी होती हैं इसलिए उन्हें सीट बेल्ट सही तरीके से नहीं लग पाता। रिपोर्ट में कहा गया कि, बेल्ट का निचला हिस्सा तो सही रहता है लेकिन इसका उपरी हिस्सा क्रैश के समय महिला के गले में फंस जाता है। इसके अलावा एयरबैग नहीं खुलने की स्थिति में महिला को गंभीर चोटें भी आती हैं जो कई बार मौत की वजह भी बन जाती है। अमेरिका के कुछ राज्यों में तो कार हादसे में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की मौत की औसत लगभग दोगुनी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ कंपनियां क्रैश टेस्ट में महिलाओं की डमी इस्तेमाल करती हैं जो पांच फिट की होती है। इसमें भी यह आ चुका है कि क्रैश के समय सीट बेल्ट डमी के कंधे या गले में अटक गई। लेकिन फिर भी महिलाओं के हिसाब से सेफ्टी फीचर्स डेवलप नहीं किए गए। हालांकि, कुछ देश इसे लेकर गंभीर हैं, जिसमें स्वीडन, नार्वे, आयरलैंड जैसे देशों का नाम शामिल हैं। लेकिन दुनिया के ज्यादातर देश इसके लिए गंभीर नहीं हैं।
सीट बेल्ट को तो एडजस्टबेल बनाया ही जा सकता है
यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के वैज्ञानिक जेसन फॉरमेन का कहना है कि, कार बनाने वाली कंपनियां इस मसले पर अभी पूरी तरह गंभीर नहीं दिखतीं। अगर कार के सेफ्टी फीचर महिलाओं के हिसाब से डेवलप होते तो उनकी मौतें कम होती। उन्होंने कहा कि, कम से कम इतना तो किया ही जा सकता है कि, सीट बेल्ट और सीट एडजेस्टबल हो। इससे कंपनियों का ज्यादा खर्चा भी नहीं होगा और कई जानें भी बच सकती हैं।