चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. कोरोना काल में जहां लोगों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं कोरोना काल अच्छा भी हो रहा है। लॉकडाउन के दौरान कई राज्यों के निजी और सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी बेहद कम की गई है। लॉकडाउन से पहले लगभग हर दूसरी गर्भवती महिला की सिजेरियन डिलीवरी की जाती थी।
जानकारी के मुताबिक, कोरोना काल में ज्यादातर गायनोकॉलॉजिस्ट ने सिजेरियन डिलीवरी काफी कम कर दी है। इससे प्रसूता व उनके रिश्तेदारों को काफी राहत मिली है। समय और पैसा दोनों बच रहे हैं। लॉकडाउन में प्रसव के आंकड़ोंं से स्पष्ट है कि सामान्य और परंपरागत प्रसव की संख्या बढ़ी है।
उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले में लॉकडाउन के दौरान नार्मल डिलीवरी की संख्या बढ़ी है। यहां 60 प्रतिशत नार्मल और 40 फीसदी सिजेरियन डिलीवरी हुई। वाराणसी, पूर्वांचल के गाजीपुर, मऊ, बलिया, आजमगढ, जौनपुर, भदोही, सोनभद्र, मीरजापुर व चंदौली में भी लॉकडाउन के दौरान नार्मल डिलीवरी की संख्या ज्यादा रही। कुछ तो ऐसे भी जिले हैं जहां नार्मल डिलीवरी की संख्या 80 प्रतिशत तक रही।
अलग-अलग जिलों में नार्मल और सिजेरियन डिलीवरी की संख्या
- वाराणसी – 3309 नार्मल डिलीवरी व 398 सिजेरियन डिलीवरी
- मीरजापुर – 1126 नार्मल डिलीवरी व 374 सिजेरियन डिलीवरी
- आजमगढ़ – 2421 नार्मल डिलीवरी व 827 सिजेरियन डिलीवरी
- सोनभद्र – 4687 नार्मल डिलीवरी व 2743 सिजेरियन डिलीवरी
- भदोही – 2432 नार्मल डिलीवरी व 537 सिजेरियन डिलीवरी
- जौनपुर – 1166 नार्मल डिलीवरी व 411 सिजेरियन डिलीवरी
- गाजीपुर – 540 नार्मल डिलीवरी व 190 सिजेरियन डिलीवरी
झारखंड में भी देखी गई कमी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, झारखंड में पिछले साल हर महीने करीब 4 हजार सिजेरियन डिलीवरी होती थी। लेकिन लॉकडाउन के दौरान सिजेरियन केस में बहुत ज्यादा कमी आई है। झारखंड में अप्रैल में सिजेरियन डिलीवरी के 2656 केस और मई में 2983 केस रहे।