चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में प्रतिमाह अमावस्या की तिथि समाप्त होने के बाद शुक्ल पक्ष में चंद्र दर्शन मनाया जाता है। इस बार मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष में 27 नवंबर को चंद्र दर्शन पड़ रहा है। मान्यता है कि चंद्रमा ज्ञान, बुद्धि और मन का स्वामी ग्रह है और चंद्र दर्शन के दिन चंद्रमा के दर्शन करने से काफी शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं चंद्र दर्शन का महत्व और पूजन-विधि।
चंद्र दर्शन का महत्व
हिंदू धर्म में चंद्र देव को उच्च कहे जाने वाले देवताओं में से एक रूप बताया गया जिनका पृथ्वी पर लोगों के जीवन पर काफी असर है। इसी वजह से चांद को महत्वपूर्ण गृह माना गया है। चंद्र दर्शन के दिन काफी लोग अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद मांगते हैं। साथ ही चंद्र देव के दर्शन से सफलता, सौभाग्य और अच्छी सेहत की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति चंद्र दिवस के मौके पर चंद्र देव की पूजा और व्रत करता है उसके मन से सभी नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
चंद्र देव की पूजन-विधि
- इस दिन शाम के समय चंद्र देव का दशोपचार तरीके से पूजा-अर्चना करें।
- दशोपचार मतलब भगवान का आह्वाहन, आचमन, अर्घ्य, स्नान करकर और रोली और चावल से तिलक कर, फूल अर्पित करें।
- इसके बाद धूप दीप करके चंद्र भगवान को भोग के तौर पर खीर का प्रसाद अर्पित करें।
- चंद्र मंत्रों के साथ व्रत का अनुष्ठान किया जाता है।
- चंद्र दर्शन पर भगवान चंद्रमा की पूजा समय ‘ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात’ मंत्र पाठ करें।
- इस दिन भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक करने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है।