चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास ये चार महीने विशेष होते हैं। इनमें विवाह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश जैसे शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं। हालांकि देवोत्थान एकादशी के साथ शुभ कार्यों की शुरुआत दोबारा हो जाती है। मान्यता है कि, चातुर्मास 4 महीने का ऐसा समय होता है जिसमें सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर में निद्रा में होते हैं। इस साल 12 जुलाई से चातुर्मास महीने की शुरुआत हो रही है।
हिन्दू पंचांग के मुताबिक, यह आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। भगवान विष्णु इस दौरान सागर में आराम करते हैं। इन चार महीनों में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। आइए जानते हैं चातुर्मास में कौन-कौन से काम नहीं किए जाते हैं।
चातुर्मास में भूलकर भी न करें ये काम
- चातुर्मास के पहले महीने यानी सावन में हरी सब्जी, भादौ में दही, आश्विन में दूध और कार्तिक में दाल नहीं खाना चाहिए।
- चातुर्मास में पान मसाला, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
- घर में लहसुन, प्याज से बना भोजन बिल्कुल भी ना बनाएं।
- इन महीनों में बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, ज्यादा मसालेदार भोजन, मिठाई का त्याग करना चाहिए।
- इन महीनों में कांसे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए।
- इन चार महीनों में किसी की बुराई करने से बचें और किसी को धोखा भी न दें।
- ऐसा कहा जाता है कि इन चार महीनों में मधुर स्वर के लिए गुड़, लंबी उम्र और संतान प्राप्ति के लिए तेल, शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए कड़वा तेल, और सौभाग्य के लिए मीठे तेल का त्याग किया जाना चाहिए।
- बता दें इस दौरान स्वेच्छा से नियमित उपयोग के पदार्थों का त्याग करने का विधान है।
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