चैतन्य भारत न्यूज
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ त्योहार मनाया जाता है। इस साल छठ महापर्व का समापन शुक्लपक्ष की सप्तमी 21 नवंबर को उदीयमान सूर्य के अर्घ्य से होगा। चार दिन तक चलने वाले इस पर्व को सादगी का त्योहार माना जाता है।
दरअसल छठ का त्योहार कर्मकांडों और दिखावों से दूर बहुत ही सरलता से मनाया जाता है और यही बात इस महापर्व को बाकी त्योहारों से अलग बनाती है। छठ पूजा को प्रकृति का त्योहार भी कहा जाता है। इसमें पूजा-पाठ से लेकर प्रसाद तक में प्रकृति की चीजें उपयोग में लाई जाती हैं। पूजा में मौसम की फसलों को ही शामिल किया जाता है।
पूजा में नई फसल के तौर पर प्रसाद में गन्ना चढ़ाया जाता है। इसके अलावा गुड़ और आटे को मिलाकर ठेकुआ बनाया जाता है जो इस पूजा की विशेष प्रसाद रहती है। इस पर्व में महिलाएं नदी, ताल या समुद्र के पास पानी में खड़े हो कर सूर्य की पूजा करती हैं। पूजा के घाट पर हर कोई समान भाव से आकर पूजा करता है। इस पूजा के दौरान किसी से भेदभाव नहीं किया जाता है। 4 दिनों का ये पर्व साधना और तप के लिए जाना जाता है।
आइए जानते हैं इस व्रत की पूजा सामग्री-
छठ पूजा का प्रसाद रखने के लिए बांस की दो बड़ी-बड़ी टोकरियां, दूध, जल, 5 गन्ने, जिसमें पत्ते लगे हों, शकरकंदी, सुथनी, पान, सुपारी, हल्दी, मूली, अदरक का हरा पौधा, नींबू, शरीफा, केला, नाशपाती, पानी वाला नारियल, मिठाई, चावल, सिंदूर, दीपक, शहद और धूप, गुड़, गेहूं, चावल का आटा, ठेकुआ आदि शामिल होना चाहिए।