चैतन्य भारत न्यूज
समय से ज्यादा ड्यूटी, खाना खाने का निश्चित समय न होने और कम नींद के चलते लोग ब्लड प्रेशर (बीपी) का शिकार होते जा रहे हैं। वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2000 के बाद पैदा होने वाले बच्चों में हाई ब्लडप्रेशर की दर दोगुनी हो गई है। इसका खुलासा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा 1994 से 2018 के बीच हुए 47 अध्ययन में हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2015 में पूरी दुनिया के 6 फीसदी बच्चे हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित थे। जबकि साल 2000 में ये आंकड़ा 3 फीसदी था। वहीं साल 1990 के दशक में एक फीसदी बच्चों और किशोरों को ये तकलीफ थी जिसमें कुछ 6 साल के बच्चे भी शामिल थे। रिपोर्ट के मुताबिक, जिन बच्चों का वजन अधिक था उनमें हाइपरटेंशन का खतरा अधिक है।
ब्लडप्रेशर यूके की सीईओ कैथरीन जेनर ने बताया कि, ‘एक समय लोग हाइपरटेंशन को 60 से अधिक उम्र वालों की बीमारी मानते थे लेकिन अब ऐसा नहीं रहा है। उनका कहना है कि, खराब जीवनशैली, नमक का अधिक प्रयोग, फल और हरी सब्जियां न खाने और व्यायाम न करने से 30 से 40 साल के लोगों में हाइपरटेंशन के चलते दिल का दौरा पड़ता है जो मौत का एक बड़ा कारण है।’
मोटापे से महिलाओं को ज्यादा नुकसान
बढ़ता मोटापा हाइपरटेंशन की सबसे बड़ी वजह है। रिपोर्ट के मुताबिक, पुरुषों में मोटापे से हाई ब्लडप्रेशर की संभावना दोगुनी होती है। जबकि मोटापे से पीड़ित महिलाओं में यह तीन गुना तेजी से बढ़ता है।
बच्चों का गलत खान-पान
बच्चों का खान-पान बीमारियों का सबसे बड़ा कारण है। गलत खान-पान और रहन सहन से यह तेजी से पांव पसार रहा है।