चैतन्य भारत न्यूज
ईसाई धर्म का सबसे बड़ा और प्रमुख त्योहार ‘क्रिसमस’ है। हर वर्ष 25 दिसंबर को यह त्योहार मनाया जाता है. मान्यता के मुताबिक, क्रिसमस ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन क्रिसमस ट्री का भी अपना एक खास महत्व होता है। लोग क्रिसमस ट्री को सजाकर घर में रखते हैं. क्रिसमस ट्री को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। माना जाता है कि क्रिसमस ट्री को इस दिन घर लाने और सजाने से वास्तु दोष दूर होते हैं।
क्रिसमस ट्री की कहानी प्रभु यीशु मसीह के जन्म से जुड़ी हुई है। माना जाता है कि जब उनका जन्म हुआ तो उनके माता पिता मरियम एवं जोसेफ को बधाई देने वाले लोगों ने, जिनमें स्वर्गदूत भी शामिल थे, एक सदाबहार फर को सितारों से रोशन किया था। जिसके बाद से ही सदाबहार क्रिसमस फर के पेड़ को क्रिसमस ट्री के रूप में पहचाना जाता है।
क्रिसमस ट्री पर मोमबत्तियां लगाने का चलन 17वीं शताब्दी से शुरू हुआ। प्राचीन काल में क्रिसमस ट्री को जीवन की निरंतरता का प्रतीक माना जाता था। मान्यता थी कि इसे सजाने से घर में बच्चों की आयु लंबी होती है।
माना जाता है कि क्रिसमस ट्री को घर में रखने से बुरी आत्माएं दूर होने के साथ सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। तिकोने आकार का क्रिसमस ट्री अग्नि का प्रतीक होता है और धरती पर हर चीज को जीवनदान प्रदान करने के लिए सक्षम है।
मान्यता है कि घर में क्रिसमस ट्री लगाने से जीवन से हर तरह का तनाव दूर होता है। कहा जाता है कि क्रिसमस ट्री को सजाते समय उसपर जो स्टार लगाएं जाते हैं, वो व्यक्ति के जीवन से अंधेरा दूर करने में मदद करते हैं।
क्रिसमस ट्री पर लगा छोटा सा सांता क्लॉज जीवन में छोटी-छोटी चीजों से मिलने वाली खुशियों का प्रतीक है। इसके अलावा क्रिसमस ट्री पर टंगे रंग-बिरंगे गिफ्ट बॉक्स घर में खुशहाल माहौल और सकारात्मक उर्जा का संकेत देते हैं।