चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल को पेश किया। बिल को लेकर सदन में अमित शाह और विपक्षी सांसदों के बीच तीखी बहस हुई। इस बिल को लेकर वोटिंग हुई। लोकसभा में बहुमत होने के कारण भाजपा को इसमें दिक्कत नहीं आई और सरकार ने इस बिल की पहली परीक्षा को पास कर लिया। बिल को लेकर कुल 375 सांसदों ने वोट किया। इस बिल को पेश करने के पक्ष में 293 वोट और विरोध में 82 वोट पड़े।
Lok Sabha: 293 ‘Ayes’ in favour of introduction of #CitizenshipAmendmentBill and 82 ‘Noes’ against the Bill’s introduction, in Lok Sabha pic.twitter.com/z1SbYJbvcz
— ANI (@ANI) December 9, 2019
क्या है प्रावधान
नागरिकता संशोधन बिल के जरिए 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए सभी लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है, जबकि असम समझौते के अनुसार 1971 से पहले आए लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान था। ऐसे में सरकार ने स्पष्ट किया था कि, यह बिल असम तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे देश में प्रभावी होगा। दरअसल इस बिल में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता के संबंध में प्रावधान किया गया है। इसे लेकर अमित शाह ने कहा कि, ‘इस बिल को समझने के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के संविधान को देखना होगा।’
कांग्रेस पर लगाया आरोप
अमित शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘इस बिल की जरूरत कांग्रेस की वजह से पड़ी। धर्म के आधार पर कांग्रेस ने देश का विभाजन किया। इस बिल की जरूरत नहीं पड़ती अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करती, कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश को बांटा।’
सदन में बिल को लेकर हंगामा
नागरिकता बिल पेश करने के बाद लोकसभा में हंगामा हुआ। कांग्रेस, टीएमसी समेत कुछ विपक्षी पार्टियों ने इस बिल के पेश होने का ही विरोध किया। इसे लेकर कांग्रेस का कहना है कि, ‘इस बिल का पेश होना ही संविधान के खिलाफ है।’ जिसके जवाब में अमित शाह ने कहा कि, ‘इस बिल में संविधान का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।’
बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन
वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि, ‘सेक्युलिरिज्म इस मुल्क का हिस्सा है, ये एक्ट फंडामेंटल राइट का उल्लंघन करता है। ये बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हो रहा है। इस मुल्क को इस कानून से बचा ले लीजिए, गृह मंत्री को बचा लीजिए।’