चैतन्य भारत न्यूज
यौन उत्पीड़न के आरोप से घिरे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच समिति ने क्लीन चिट दे दी है। इस समिति के सदस्य सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस इंदु मल्होत्रा थे। समिति ने कहा है कि, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों में कोई दम नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल ने एक प्रेस नोट भी जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि, ‘आंतरिक जांच समिति ने पांच मई को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।’ साथ ही प्रेस नोट में कहा गया है कि, ‘समिति ने जस्टिस गोगोई पर लगे सभी आरोपों को तथ्यहीन पाया है।’ इस दौरान सेक्रेटरी जनरल ने ये भी कहा कि, आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जा सकती है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की एक 35 वर्षीय पूर्व कर्मचारी ने कोर्ट के 22 जजों को एक पत्र लिखकर ये आरोप लगाया था कि, सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई ने अक्टूबर 2018 में उनका यौन उत्पीड़न किया था। जानकारी के मुताबिक, महिला कोर्ट में जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के पद पर काम कर रही थी। महिला का कहना था कि, चीफ जस्टिस गोगोई के खिलाफ आवाज उठाने के बाद से ही उन्हें, उनके पति और परिवार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
इस मामले को लेकर 26 अप्रैल को जांच समिति की पहली बैठक हुई। इस बैठक में समिति के सामने पीड़िता और उनके बाद जस्टिस गोगोई भी पेश हुए थे। मामले की सुनवाई शुरु होने के कुछ दिन बाद ही महिला ने आंतरिक समिति के माहौल को डरावना बताया और समिति के समक्ष पेश होने से मना कर दिया था। 30 अप्रैल को शिकायतकर्ता तीसरी सुनवाई बीच में ही छोड़ कर चली गई थी। लेकिन अब शिकायतकर्ता ने कहा कि, ‘मैं समिति के फैसले से आहत हूं। मुझे वकील भी नहीं दिया गया। समिति ने मेरी सभी बातें भी ठीक से नहीं सुनी। इसलिए ही मैंने खुद को इस जांच से अलग कर लिया था।’