चैतन्य भारत न्यूज
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में महिलाओं को जगह देने वाली कंपनियों की शेयर होल्डिंग बेहतर हुई है। इतना ही नहीं बल्कि पिछले पांच साल में बोर्ड में महिलाओं को शामिल करने वाली कंपनियों की संख्या 10 प्रतिशत बढ़ी है। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कंपनियों में महिला डायरेक्टर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
अब भारतीय महिलाएं बिजनेस, राजनीति और खेल के साथ ही विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी अपना नाम कमा रही हैं। बावजूद इसके स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा से लेकर आर्थिक भागीदारी तक हर जगह लैंगिक असमानता देखने को मिलती है। बता दें 2013 में व्यवसायों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए देश में कंपनी अधिनियम लाया गया था। जिसके बाद से ही कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ने लगा।
कंपनी अधिनियम के मुताबिक, सभी कंपनियों को अपने बोर्ड में कम से कम एक महिला डायरेक्टर को रखना जरुरी है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड कंपनियों में महिला डायरेक्टर्स का प्रतिशत 2014 में 5.5 से बढ़कर 2015 में 12.6 हो गया और 2017 में 14.3 तक पहुंच गया। रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने वाली फर्म अपने स्टॉक प्रदर्शन के लिए अधिक संवेदनशील होती हैं, जिसके चलते उनकी शेयर होल्डिंग वैल्यू बेहतर होती है। उनके यहां बेहतर बातचीत का वातावरण और निरीक्षण देखने को मिला है।
इसके अलावा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड 1,284 फर्म पर किए रिसर्च में ये भी पता चला है कि फर्म में परिवार के बाहर की महिला डायरेक्टर्स, परिवार की महिला डायरेक्टर्स से ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं।