चैतन्य भारत न्यूज
कैलिफोर्निया. अमेरिका में कई कंपनियां कोरोना वायरस के डर से अपने कर्मचारियों के शरीर में माइक्रोचिप लगवा रही थी। इसे लेकर अब मिशिगन राज्य की संसद में एक विधेयक पारित किया गया है। इसके तहत कंपनियां अपने कर्मचारियों को शरीर में माइक्रोचिप लगाने के लिए बाध्य नहीं कर सकतीं।
बता दें साल 2017 में कंपनियों ने एक पॉलिसी लागू की थी। इसके तहत कंपनियां अपने कर्मचारियों के शरीर में आरएफआईडी माइक्रोचिप लगवाने वाली थी, जिससे कि दफ्तर में उनके प्रवेश करते ही दरवाजे खुल जाते, कंप्यूटर खुल जाते और इतना ही नहीं बल्कि कैंटीन से नाश्ता लेने पर भुगतान भी अपने आप ही हो जाता।
कर्मचारियों की हर गतिविधियों पर रहती नजर
कंपनियां इस चिप के जरिए अपने कर्मचारियों की हर गतिविधियों पर नजर रख सकती थीं। हालांकि, कर्मचारियों के शरीर में चिप लगवाना स्वेच्छा आधारित थी। कंपनियां कर्मचारियों को यह चिप लगवाने के लिए बाध्य नहीं कर सकती थी। विधेयक पारित होने के बाद कर्मचारियों को चिप लगवाने के लिए बाध्य करना गैर-काूननी होगा। कैलिफोर्निया, अरकंसास, मिसौरी समेत 10 राज्यों में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है।
निजता के उल्लंघन की संभावना
विधेयक को प्रस्तावित करने वाले मिशिगन संसद के प्रतिनिधि ब्रोना काॅल को इस बात का डर था कि यदि इस नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया तो कर्मचारियों की निजता के उल्लंघन की संभावना और ज्यादा बढ़ जाएगी। वहीं इस नई तकनीक का इस्तेमाल करने वाली कंपनी एम 32 के सीईओ टॉड वेस्टबी ने बताया कि, आने वाले समय में इस चिप में कर्मचारियों के बिजनेस कार्ड, मेडिकल इन्फॉर्मेशन, बैंकों की जानकारी भी सेव की जा सकती है। इतना ही नहीं बल्कि लोग इसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट के पास, एटीएम कार्ड और पासपोर्ट की तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं।
चावल के दाने जितनी बड़ी माइक्रोचिप
इस चिप का आकार चावल के दाने जितना बड़ा है और इसकी कीमत करीब 23 हजार रुपए है। चिप को सर्जरी करवाकर हाथ में कहीं भी लगवाया जा सकता है।