चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म के प्रमुख तीज त्योहारों में से एक दशावतार व्रत का काफी महत्व है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन दशावतार व्रत होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। इस साल यह व्रत 8 सितंबर, रविवार को पड़ रहा है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व और पूजा-विधि।
दशावतार व्रत का महत्व
इस दिन सृष्टि के रचियता भगवान विष्णु के 10 अवतारों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा और भक्तिभाव से विष्णु का पूजन करके उनकी शरण लेता है, वह अवश्य ही जीवन के सभी पापों से मुक्ति पाकर मोक्ष को प्राप्त करता है। साथ ही उनके जीवन की समस्त कठिनाइयां दूर हो जाती है।
दशावतार व्रत की पूजा-विधि
- अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
- अब दशावतार पूजन के लिए रोली, अक्षत, दीपक, पुष्प, माला, नारियल, नैवेद्य, कपूर, फल, गंगाजल, यज्ञोपवीत, कलश, तुलसी दल, श्वेत चंदन, हल्दी, पीत एवं श्वेत वस्त्र आदि सामग्री एकत्रित करके अपने पूजा स्थान में रखें।
- भगवान श्रीहरि विष्णु की मूर्ति के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें।
- इस दिन विष्णु मंत्र जाप, विष्णु सहस्रनाम, कीर्तन, स्मरण, दर्शन, विष्णु स्तोत्र आदि का पाठ करना चाहिए।
- श्रीहरि विष्णु का सर्वशक्तिशाली महामंत्र- ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का अवश्य जाप करें।