चैतन्य भारत न्यूज
हमारे देश में अंधविश्वास ने इस कदर जड़े जमा रखी है कि तमाम प्रयासों के बाद भी लोगों की मानसिकता बदलने का नाम नहीं ले रही है। आज हम आपको अंधविश्वास का एक ऐसा मामला बताने जा रहे हैं जिस पर आप यकीन नहीं कर पाएंगे। दरअसल इंदौर के चित्तौड़ा गांव में तालाब में डूबने से दो भाइयों की मौत के बाद ग्रामीणों ने पूरी रात उनके शव खड़े नमक में दबाकर रखे। यह काम कहीं और नहीं बल्कि सरकारी अस्पताल के पोस्टमार्टम रूम में किया गया।
सोशल मीडिया पर पर चल रही एक भ्रामक पोस्ट की वजह से परिजनों ने ये सब किया। उन्हें उम्मीद थी कि शव नमक में दबाकर रखने से वे दोबारा जीवित हो जाएंगे। हालांकि ऐसा कुछ नहीं हुआ। बता दें चितौड़ा के तालाब में दो भाई कमलेश (20) और हरीश (18) डूब गए थे। ग्रामीण इन्हें सांवेर लेकर आए, जहां डॉक्टर ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। इस दौरान परिजनों ने दोनों का पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया और एक सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देकर दोनों शवों को खड़े नमक में दबाकर रख दिया। ग्रामीणों ने डॉक्टर सहित अस्पताल कर्मचारियों को भी बहला लिया।
वहीं अस्पताल के डॉक्टर सुरेश परदेसी का कहना है कि, ‘मुझे जानकारी नहीं है। ड्यूटी डॉक्टर से पता करता हूं, किस आधार पर अस्पताल में यह सब करने की इजाजत दी गई।’ इसके अलावा डॉक्टर रोहन देव का कहना है कि, ‘कुछ स्थानीय लोगों ने टीवी पर कोई न्यूज सुनी थी कि नमक पर लिटाने से पानी में डूबे व्यक्ति जीवित हो सकते हैं। ग्रामीणों ने दोनों के शव नमक से ढंक दिए थे। समझाने पर हटा दिया।’
दरअसल पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा था, जिसमें दावा किया गया था कि डूबने से मौत के मामले में यदि शव को चार घंटे के लिए ही खड़े नमक में दबाकर रख दिया जाए तो नमक बदन का सारा पानी सोख लेगा और व्यक्ति फिर से जीवित हो जाएगा।