चैतन्य भारत न्यूज
इसरो का मिशन मून यानी चंद्रयान-2 लॉन्च हो गया है। 2008 में चंद्रयान-1 के जरिए चंद्रमा पर पानी की खोज की गई थी और अब चंद्रयान-2 की बारी है। हम आपको मिशन चंद्रयान-2 से जुड़ीं खास बातें बताने जा रहे हैं…
#WATCH: GSLVMkIII-M1 lifts-off from Sriharikota carrying #Chandrayaan2 #ISRO pic.twitter.com/X4ne8W0I3R
— ANI (@ANI) July 22, 2019
इसरो के मिशन चंद्रयान-2 पर दुनियाभर के लोगों की निगाहें टिकी हुईं हैं। इस मिशन पर दुनियाभर की निगाहें इसलिए भी टिकी हुईं हैं क्योंकि भारत का यह यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के उस हिस्से पर उतरेगा जहां अब तक कोई भी देश नहीं पहुंच सका है। 54 दिन की यात्रा पूरी करने के बाद जब यह 6 सितंबर को लैंडर से निकलकर प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर चलेगा तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा।
#ISRO #Chandrayaan2
As our journey begins, do you know what is the distance of Moon from Earth? The average distance is 3, 84, 000 km, Vikram lander will land on Moon on the 48th day of the mission, which begins today.
Here’s different view of #GSLVMkIII-M1 pic.twitter.com/4LFEmT2xxZ— ISRO (@isro) July 22, 2019
बता दें लैंडर वो है जिसके जरिए चंद्रयान पहुंचेगा और और रोवर का मतलब उस वाहन से है जो चांद पर पहुंचने के बाद वहां की चीजों को समझेगा और उसकी जानकारी धरती तक पहुंचाएगा। चंद्रयान-2 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पानी के प्रसार और मात्रा के बारे में जानकारी जुटाना है। इसके अलावा यह चंद्रमा के मौसम, खनिजों और उसकी सतह पर फैले रासायनिक तत्वों का भी अध्ययन करेगा। चंद्रयान-2 चांद पर मिट्टी का विश्लेषण करेगा, उसमें मौजूद मिनरल्स के बारे में जानकारी निकालेगा और वहां पर हिलियम-3 गैस की संभावना तलाशेगा जिससे कि भविष्य में ऊर्जा का बड़ा स्रोत हो सकता है।
Launch of Chandrayaan 2 by GSLV MkIII-M1 Vehicle https://t.co/P93BGn4wvT
— ISRO (@isro) July 22, 2019
मिशन चंद्रयान-2 मिशन चंद्रयान-1 से कई मायनों में अलग है। चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर उतरेगा। बता दें 2008 में चंद्रयान-1 चांद की कक्षा में जरूर गया था लेकिन वह चंद्रमा पर नहीं उतरा था। चंद्रयान-1 को चांद की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित कक्षा में स्थापित किया गया था।
🇮🇳 #ISROMissions 🇮🇳
The launch countdown of #GSLVMkIII-M1/#Chandrayaan2 commenced today at 1843 Hrs IST. The launch is scheduled at 1443 Hrs IST on July 22nd.
More updates to follow… pic.twitter.com/WVghixIca6— ISRO (@isro) July 21, 2019
बता दें 22 जुलाई से लेकर 13 अगस्त तक चंद्रयान-2 पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। फिर वह 13 अगस्त से 19 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा। इसके बाद 19 अगस्त को चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में पहुंचेगा। यहां 13 दिन यानी 31 अगस्त तक चंद्रयान-2 चांद के चारों ओर चक्कर लगाएगा। फिर 1 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और यह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाने के लिए यात्रा शुरू करेगा। 5 दिन की यात्रा के बाद 6 सितंबर को विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। चांद की सतह पर उतरने के करीब 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर विभिन्न प्रयोग करने के लिए उतरेगा।