चैतन्य भारत न्यूज
करीब 11 साल तक बिस्तर पर पड़े रहने वाले कॉलेज के एक छात्र का अनोखा किस्सा सामने आया है। दरअसल छात्र की बीमारी का इलाज करने में जब सारे डॉक्टर नाकामयाब हो गए तो उसने खुद मेडिकल की रिसर्च पढ़ी और इसके जरिए सर्जरी करवाकर अपना इलाज खुद करवाया। यह मामला अमेरिका का है।
अमेरिका की रॉकहर्ट्स यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले डौग लिंडसे 1999 में जब 21 साल के थे, तब वह घर पर बेहोश होकर डाइनिंग टेबल से गिर पड़े। जिसके बाद वह बार-बार बेहोश होने लगे। उनके दिल की धड़कन धीरे होने लगती थी। वह कमजोर महसूस करने लगे। जानकारी के मुताबिक, लिंडसे एक समय में केवल 50 फीट तक ही चल सकते थे और कुछ ही मिनटों से ज्यादा नहीं खड़े हो सकते थे। वहीं डॉक्टर भी नहीं समझ पा रहे थे कि आखिर उन्हें हुआ क्या है।
डॉक्टरों ने लिंडसे की बीमारी को थॉयराइड से जुड़ा बताया लेकिन इलाज नहीं कर सके। इसके बाद लिंडसे ने खुद करीब ढाई हजार पेज की एंडोक्रिनोलॉजी (अंत:स्राव विद्या) पुस्तक पढ़ी। साल 2010 में लिंडसे को पता चला कि उसके एड्रीनल ग्लेंड्स (अधिवृक्क ग्रंथी) में ट्यूमर है। इसके बाद लिंडसे ने अपने वैज्ञानिक दोस्त की मदद से सर्जरी करवाई। वह चलने-फिरने लगे। 2014 तक वह पूरी तरह दौड़ने-भागने लगे।
आज के समय में लिंडसे पूरी तरह स्वस्थ है और अब वे मोटिवेशनल क्लासेस भी लेते हैं। बीमारी के दौरान लिंडसे को लगभग 22 घंटे बिस्तर पर गुजारना पड़ता था। खबरों के मुताबिक, जब लिंडसे छोटे थे तब उनकी मां और मौसी को भी यही बीमारी थी।