चैतन्य भारत न्यूज
देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को हुआ। उनकी आज 136वीं जयंती है। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था। पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेंद्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था। आज हम आपको बताने जा रहे हैं राजेंद्र प्रसाद की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें जिन्हें बहुत ही कम लोग जानते हैं।
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 में बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम महादेव सहाय और माता का नाम कमलेश्वरी देवी था।
- मात्र 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा प्रथम स्थान से पास की और फिर कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लेकर लॉ के क्षेत्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। वह हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, बंगाली एवं फारसी भाषा से पूरी तरह परिचित थे।
- राजेंद्र प्रसाद (Rajendra Prasad) पढ़ाई लिखाई में अच्छे थे, उन्हें अच्छा स्टूडेंट माना जाता था। उनकी एग्जाम शीट को देखकर एक एग्जामिनर ने कहा था कि ‘The Examinee is better than Examiner’
- राजेंद्र प्रसाद का विवाह 13 वर्ष की उम्र में राजवंशीदेवी से हो गया था।
- राष्ट्रपति के रूप में राजेंद्र प्रसाद का कार्यकाल 26 जनवरी 1950 से 14 मई 1962 तक का रहा।
- राजेंद्र प्रसाद की बहन भगवती देवी का निधन 25 जनवरी 1950 को हो गया था। जबकि अगले दिन यानी 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने जा रहा था। ऐसे में राजेंद्र प्रसाद भारतीय गणराज्य के स्थापना की रस्म के बाद ही दाह संस्कार में भाग लेने गए।
- साल 1962 में राष्ट्रपति पद से हट जाने के बाद राजेंद्र प्रसाद को भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।
- अपने जीवन के आखिरी पल बिताने के लिए राजेंद्र प्रसाद ने पटना के निकट सदाकत आश्रम चुना। यहां पर ही 28 फरवरी 1963 में उनका निधन हुआ।