चैतन्य भारत न्यूज
इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाया जाता है। ईद-ए-मिलाद इस बार 29 अक्टूबर की शाम से लेकर 30 अक्टूबर की शाम तक रहेगा। हालांकि भारत में ये त्योहार 30 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। इसे पैंगबर मुहम्मद साहब के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। आइए ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के मौके पर पैगंबर मोहम्मद से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में जानते हैं।
- ऐतिहासिक ग्रंथों के मुताबिक, पैंगबर मुहम्मद साहब का जन्म सन 570 में सऊदी अरब में हुआ था। इस्लाम के ज्यादातर विद्वानों का मत है कि मुहम्मद का जन्म इस्लामी पंचांग के तीसरे महीने के 12वें दिन हुआ है।
- पैगंबर साहब के जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो चुका था। जब वह 6 वर्ष के थे तो उनकी मां की भी मृत्यु हो गई। मां के निधन के बाद पैंगबर मुहम्मद अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगे। इनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिना था।
- पैंगबर मुहम्मद मूर्ति पूजा या किसी भी चित्र की पूजा के खिलाफ थे। यही वजह है कि उनकी कहीं भी तस्वीर या मूर्ति नहीं मिलती है। उन्होंने कहा था कि, जो भी उनकी तस्वीर बनाएगा, उसे अल्लाह सजा देगा।
- वे बचपन से ही अल्लाह की इबादत में लीन रहते थे। वे कई-कई दिनों तक मक्का की एक पहाड़ी पर, जिसे अबलुन नूर कहते हैं, इबादत किया करते थे। चालीस वर्ष की अवस्था में उन्हें अल्लाह की ओर से संदेश प्राप्त हुआ।
- पैंगबर मुहम्मद साहब पर जो खुदा की पवित्र किताब उतारी गई है, वह है कुरआन। जिबराईल इस पवित्र कुरआन को लेकर मुहम्मद साहब के दर पर आए।
- अपने जीवनकाल के दौरान, पैंगबर मुहम्मद ने इस्लाम धर्म की स्थापना की, जो अल्लाह की इबादत के लिए समर्पित था। सन् 632 में पैगंबर मुहम्मद साहब की मृत्यु के बाद, कई मुसलमानों ने विविध अनौपचारिक उत्सवों के साथ उनके जीवन और उनकी शिक्षाओं का जश्न मनाना शुरू कर दिया।
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