चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. देश में साल 2017 में हर सात में से एक व्यक्ति अलग-अलग तरह के मानसिक विकारों से पीड़ित रहा। इनमें डिप्रेशन (अवसाद), एंग्जाइटी (चिंता) और सिजोफ्रेनिया से लोग सबसे ज्यादा परेशान रहे। मानसिक रोग के कारण भारत पर पड़ने वाले बोझ को लेकर भारतीय चिकित्सा शोध परिषद (आईसीएमआर) ने 2017 में पहली बार इस पर व्यापक अध्ययन किया। जिसमें पाया गया कि, 4.57 करोड़ लोग आम मानसिक विकार अवसाद और 4.49 करोड़ लोग बेचैनी से पीड़ित हैं।
आईसीएमआर के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव के मुताबिक, ‘हमें अवसाद के रोगी सबसे ज्यादा मिले। ज्यादातर अधेड़ के इसकी चपेट में होने के कारण इसका देश की वृद्ध आबादी पर सबसे ज्यादा असर हो रहा है। सभी मानसिक रोगों में अवसाद का हिस्सा 33.8 फीसदी है। इसके बाद बेचैनी 19 फीसदी और सिजोफ्रिनिया के मरीज 9.8 फीसदी हैं।’
शोध में पाया गया कि, डिप्रेशन पीड़िताें में उम्रदराज लोगों की संख्या ज्यादा है। डिप्रेशन की वजह से होने वाली आत्महत्याओं में भी इजाफा हुआ है। बचपन में होने वाले मानसिक विकार के मामले उत्तर भारतीय राज्यों में ज्यादा देखे गए। हालांकि, देशभर में बच्चों के इस तरह के मामले पहले की तुलना में कम हुए हैं। सभी मानसिक विकार पीड़ितों में 33.8% डिप्रेशन, 19% एंग्जाइटी और 9.8% लोग सिजोफ्रेनिया से पीड़ित थे। शोधकर्ताओं का कहना है कि देश में मानसिक रोगियों की एक बड़ी संख्या है। इसका कारण मानसिक रोगों पर ध्यान नहीं दिया जाना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1990 में कुल रोगियों की संख्या में 2.5% रोगी मानसिक विकारों से पीड़ित होते थे, जबकि 2017 में यह संख्या बढ़कर 4.7% हो गई। 2017 की विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की जनसंख्या का 7.5% हिस्सा मानसिक विकारों से पीड़ित था। 2005 से 2015 के बीच दुनिया में डिप्रेशन के मामले 18% बढ़े थे। तब दुनियाभर में डिप्रेशन के करीब सवा तीन करोड़ पीड़ित थे। इनमें लगभग आधे दक्षिण-पूर्वी एशिया में थे।
इन राज्यों में ज्यादा डिप्रेशन
- तमिलनाडु
- आंध्रप्रदेश
- तेलंगाना
- केरल
- गोवा
- महाराष्ट्र
सबसे कम एंग्जाइटी वाले राज्य
- मध्यप्रदेश
- छत्तीसगढ़
- उत्तरप्रदेश
- बिहार
- मेघालय
- केरल