चैतन्य भारत न्यूज
सूरत. गुजरात में सूरत के भावेश कोलड़िया का परिवार उस दौरान खत्म हो गया जब उनके घर में बुरी तरह आग लग गई। लेकिन भावेश ने मरने से पहले जान जोखिम में डालकर अपनी डेढ़ महीने की बेटी को बचा लिया और उसे अपने दोस्त को गोद दे दिया।
दरअसल जनवरी 2019 में घर में आग लगने के कारण भावेश के परिवार के पांच सदस्यों की मौत हो गई थी। इस दौरान सिर्फ उनकी डेढ़ महीने की बेटी हेनी ही बची थी। हेनी को भावेश ने आग में कूदकर बचा लिया था। इस दौरान भावेश की पत्नी दीक्षा को लगा कि अब दोनों के पास समय बहुत कम है और जिंदगी की डोर अब उनके हाथ से छूटने वाली है तो उन्होंने अपने करीबी दोस्त नीलेश लिंबाचिया को बुलवाया और बेटी की परवरिश की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी। इसके बाद दोनों पति-पत्नी ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
वहीं नीलेश के घर शादी के 10 साल बाद भी कोई औलाद नहीं थी, लिहाजा वह इस फैसले से बहुत खुश हुए। लेकिन एक तरफ अपने दोस्त के पूरे परिवार को खोने का गम भी बहुत था। जानकारी के मुताबिक, नीलेश ने हेनी के इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी और हर महीने करीब 50 हजार रुपए उसके इलाज में खर्च करते रहें। इतना ही नहीं बल्कि बेटी हेनी के इलाज में नीलेश ने अपने घर के फर्नीचर और गहने तक बेच दिए। जब यह बात लोगों तक पहुंची तो कई लोगों ने उनकी मदद की।
इसी बीच पहली बार माता-पिता बनने जा रहे जतिन और रिद्धि ने हेनी के इलाज के लिए एक अनोखी पहल शुरू की। पिछले दिनों रिद्धि की गोदभराई की रस्म में मिले उपहार और कुछ पैसे जतिन और रिद्धि ने नीलेश को देने को फैसला किया, ताकि हेनी जल्दी ठीक हो सके। जतिन का कहना है कि, हेनी की परवरिश कर रहे नीलेश के परिवार के त्याग और समर्पण के आगे कोई मोल नहीं। बस वह इस अनोखी पहल से नीलेश की हर संभव मदद करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि नीलेश ने समाज के लोगों को प्रेरित किया है। अब हेनी नौ महीने की हो चुकी है और अभी भी उसका इलाज चल रहा है। जतिन ने कहा कि, हेनी को समाज से जितना अधिक प्रेम मिलेगा वह उतनी ही जल्दी ठीक होगी। हम हेनी को नंद-यशोदा बनकर पाल रहे नीलेश की मदद करना चाहते हैं, क्योंकि समाज में कई लोग ऐसे हैं जिन्हे आर्थिक मदद की नहीं बल्कि प्रेम, सम्मान और अपनेपन की जरुरत होती है और हम नीलेश को यही देना चाहते हैं।