चैतन्य भारत न्यूज
कांग्रेस के वरिष्ठ दलित नेता सरदार बूटा सिंह का 86 वर्ष की उम्र में शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। बूटा सिंह सिख समुदाय के बड़े नेता थे। बूटा सिंह बिहार के राज्यपाल भी थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है।
Former Union Minister, former MP from Rajasthan and Congress leader Buta Singh passes away.
— ANI (@ANI) January 2, 2021
प्रधानमंत्री ने शोक जताते हुए लिखा है कि, ‘बूटा सिंह जी एक अनुभवी प्रशासक थे। गरीबों के कल्याण के लिए उन्होंने मजबूती से आवाज उठाई। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार और समर्थकों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं।’
बूटा सिंह गृह, कृषि, रेल, खेल मंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला। वे आठ बार सांसद भी रह चुके हैं। वह 1978 से 80 तक कांग्रेस के महासचिव रहे। सरदार बूटा सिंह को दलितों का मसीहा कहा जाता था। वर्ष 1934 जालंधर जिले में जन्में बूटा सिंह राष्ट्रीय राजनीति के एक बड़े चेहरे थे।
Shri Buta Singh Ji was an experienced administrator and effective voice for the welfare of the poor as well as downtrodden. Saddened by his passing away. My condolences to his family and supporters.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 2, 2021
बूटा सिंह कांग्रेस से तब जुड़े थे जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बने थे। बाद में उन्होंने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और डॉ मनमोहन सिंह की कैबिनेट में अहम पद पर रहे। बूटा सिंह गांधी परिवार के विश्वासपात्र के तौर पर जाने जाते थे। लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी।
बता दें कि 1977 में जनता लहर के चलते जब कांग्रेस को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था उस वक्त कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से टूट की कगार पर आ गई थी। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के एकमात्र राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कड़ी मेहनत की और पार्टी को 1980 में फिर से सत्ता में लाने में अहम योगदान दिया।
बूटा सिंह के निधन को कांग्रेस पार्टी में एक बड़ी क्षति के रूप में देखा जा रहा है। बता दें कि सरदार बूटा सिंह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। बूटा सिंह के परिजनों ने बताया कि शनिवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।