चैतन्य भारत न्यूज
हम आपको भगवान गणेश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां चोर चोरी के माल का बंटवारा करते थे। चोरी करने जाने से पहले ये बाकायदा गणेशजी से कहकर जाते थे कि लौटने पर आपको हिस्सा जरूर देंगे।
उज्जैन दुनिया भर में अपने धार्मिक स्वभाव के लिए प्रसिद्द है। उज्जैन के खाकचैक स्थित दुर्मुख गणेश मंदिर को चोर गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण के अवंतिखंड में भी मिलता है।
इस मंदिर को लेकर प्रचलित पुरातन कथा के मुताबिक, यहां चोर अपने चोरी के माल का बंटवारा करते थे। वे कहीं भी चोरी करने से पहले गणपति से कहते थे कि, लौटने पर आपको आपका हिस्सा जरूर देंगे, आप बस हमारी रक्षा करना। जब वे कहीं से चोरी करते तो इस मंदिर में आकर बराबर-बराबर हिस्सेदारी करते। इसी वजह से इसका नाम चोर गणेश मंदिर पड़ गया।
कहा जाता है कि यह प्रक्रिया यहां अनेक सालाें तक चलती रही। चोर माल के बंटवारे में ईमानदारी बरतकर बप्पा के लिए भी चोरी के माल से हिस्सा निकालकर उन्हें देते थे। हालांकि ऐसा नहीं है कि ये मंदिर सिर्फ चोरों द्वारा भगवान को चोरी का हिस्सा चढ़ाने के लिए जाना जाता है। बल्कि इस मंदिर में प्रतिमा की भी अपनी विशेषता है।
मंदिर में विराजे भगवान गणेश की सूंड बाएं हाथ की ओर उठी हुई है। यहां आने वाले श्रद्धालु भगवान गणेश की सूंड से आशीर्वाद लेते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से जो भी भक्त प्रार्थना करता है उसकी मनोकामना जरुर पूरी होती है।