चैतन्य भारत न्यूज
दक्षिण कोरिया में पिछले कुछ दिनों से लोग अपने बच्चों के साथ दूसरे देशों की ओर रुख कर रहे हैं। इसके चलते बच्चों की संख्या कम होने लगी है और कई स्कूल बंद होने की कगार पर आ चुके हैं। इस समस्या से निपटने के लिए अब स्कूलों ने एक नया और अनोखा तरीका ढूंढ निकाला है। स्कूल में अब ऐसी उम्रदराज दादियों को एडमिशन दिया जा रहा है जो अपने समय में पढ़-लिख नहीं पाईं थीं। इनमें 90 तक की उम्र की दादियां शामिल हैं।
1200 से घटकर स्कूल में रह गए 29 बच्चें
दरअसल, 1960 के दशक में दक्षिण कोरिया में महिलाओं को पढ़ने-लिखने के लिए स्कूल नहीं भेजा जाता था। इसके कारण कई महिलाएं अशिक्षित रह गई थी। वोल्डियुंग एलीमेंट्री नाम के स्कूल के मुताबिक, साल 1968 में उनके स्कूल में 1200 बच्चे थे। अब इनकी संख्या घटकर 29 ही रह गई है। कुछ स्कूल में तो दो कक्षाओं को जोड़कर उसे एक ही कक्षा में तब्दील किया है। 84 वर्षीय नैम तीन बच्चों की दादी हैं। नैम का कहना है कि, पढाई-लिखाई न करने के कारण उन्हें कई बार बुरा महसूस हुआ। अब वह स्कूल में पढ़ने के साथ-साथ अपनी सेहत का भी ध्यान रखना चाहती हैं।’ नैम ने कहा कि, ‘मेरा पसंदीदा विषय गणित है क्योंकि इसमें अंकों को जोड़ना-घटाना काफी दिलचस्प है।’
पढ़ने में बच्चों से ज्यादा समझदार दादी
वहीं 70 वर्षीय यूंग-ए ने कहा कि, ‘मेरी दादी कभी नहीं चाहती थी कि मैं स्कूल जाऊं। मुझे हमेशा से ही पढ़ाई न कर पाने का मलाल था। यह समय मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत पल है।’ बच्चें दादियों को पढ़ाई में मदद कर रहे हैं। 8 साल का किम सियूंग तो सभी दादियों को कोरियाई भाषा से जुड़े शब्द सिखा रहा है। किम सियूंग का कहना है कि, यदि दादियों ने स्कूल आना बंद कर दिया तो उन्हें बहुत दुख होगा। वहीं स्कूल की शिक्षिका चोई यंगसुन ने कहा कि, पहली बार जब सभी बुजुर्ग महिलाएं क्लास में आईं तो वह नर्वस हो गई थी। सभी दादियां खूब मेहनत कर रही हैं। यह पल उनके लिए सुखद है। वे सभी छोटे बच्चों से ज्यादा पढ़ने में समझदार हैं।