चैतन्य भारत न्यूज
गांधीनगर. बुधवार से गुजरात में हेलमेट लगाने की अनिवार्यता के नियम को खत्म कर दिया है। इतना ही नहीं बल्कि गुजरात सरकार ने बाइक या स्कूटर पर तीन लोगों को बैठने की भी छूट दे दी है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी, जिसके बाद पूरे देश में हलचल मच गई। हर कोई यह जानना चाहता था कि रूपाणी सरकार ने आखिर क्यों केंद्र सरकार के इस नियम को खत्म कर दिया?
हेलमेट से प्रतिबंध हटाने के फैसला जनहित में
विजय रूपाणी ने अपने ट्वीट में हेलमेट से प्रतिबंध हटाने के फैसले को जनहित में बताया है। राज्य सरकार का कहना है कि, पिछले कई दिनों से उन्हें कई दोपहिया वाहन चालकों के हेलमेट पहने को लेकर प्रतिवेदन मिल रहे थे, जिसके बाद मंत्रिमंडल ने इसे हटाने का फैसला किया। फैसले के मुताबिक, राज्य सरकार ने नगर निगम या नगरपालिका क्षेत्रों के अंदर हेलमेट पहने के नियम की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। हालांकि, सरकार ने यह साफ किया है कि राजमार्गों, बाहरी इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट पहनना जरूरी रहेगा।
ગુજરાત સરકારનો મહત્વનો પ્રજાલક્ષી નિર્ણય.
હવે શહેરી વિસ્તારમાં હેલ્મેટ ફરજીયાત પહેરવું પડશે નહિ. નગરપાલિકા અને મહાનગરપાલિકા વિસ્તારમાં હેલ્મેટ ફરજીયાત પહેરવું પડશે નહિ. સ્ટેટ અને નેશનલ હાઇવે તથા એપ્રોચ રોડ પર હેલ્મેટ ફરજીયાત પહેરવું પડશે.
— Vijay Rupani (@vijayrupanibjp) December 4, 2019
हेलमेट न पहनने को लेकर लोगों ने दिए अजीबोगरीब तर्क-
- शादी समारोह में हेलमेट से परेशानी होती है। इससे मेकअप खराब हो जाता है। साथ ही और भी कई शुभ अवसरों पर जाते समय इससे दिक्कत होती है।
- श्मशान या शोकसभा में जाना हो, या फिर अर्थी को कंधा देते समय हेलमेट लेकर खड़े रहना पड़ता है। यह बहुत खराब लगता है।
- भयंकर गर्मी में हेलमेट पहनने से पसीना बहुत आता है।
- सब्जी लेने जाएं तो हेलमेट संभालना मुश्किल हो जाता है।
- हेलमेट पहनने के कारण बगल या पीछे से आने वाले वाहनों का हॉर्न सुनाई नहीं देता। इससे दुर्घटना का खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है।
- हेलमेट पहनकर पीछे देखते समय दुर्घटना हो सकती है।
- सोशल मीडिया पर हेलमेट के नियम को लेकर लोगों ने नाराजगी जताई थी।
2018 में 1500 लोगों की जान गई
रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात में साल 2018 में हेलमेट न पहनने के कारण 1500 लोगों को जान गई थी। इससे पहले साल 2017 में हेलमेट न पहनने के कारण 6068 दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें 2190 लोगों की मौत हुई।
87% लोग जो दुर्घटना के शिकार हुए वे हेलमेट नहीं पहनने थे।
कई मंत्री हुए असहमत
गुजरात सरकार के इस निर्णय से राज्य के कई मंत्री असहमत भी हुए। उनका तर्क है कि शहरों में भी हेलमेट के कारण जान बच सकती है। कुछ मंत्रियों ने तो इतना तक कह दिया कि, कांग्रेस प्रेरित अभियान के कारण सरकार को दबाव में नहीं आना चाहिए। हालांकि, हेलमेट से प्रतिबंध हटाते समय सरकार ने भी माना है कि सड़क दुर्घटना में हेलमेट सिर की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है।