चैतन्य भारत न्यूज
आज गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन है। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। मां चंद्रघंटा के सिर पर घंटे के आकार का चंद्रमा बना होता है इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। माता के दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं और यह देवी हमेशा युद्ध की मुद्रा में रहती हैं। इनका रूप सोने की तरह चमकीला होता है और वह सिंह की सवारी करती हैं। मान्यता है कि, मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट हमेशा के लिए नष्ट हो जाते हैं।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि-
- मां चंद्रघंटा की पूजा करते वक्त लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
- मां को लाल के पुष्प चढ़ाएं और साथ ही उन्हें लाल चुनरी भी समर्पित करें।
- मां चंद्रघंटा को सुगंध प्रिय है, इसलिए इनका पूजन करते समय फूल और इत्र चढ़ाएं।
- मां चंद्रघंटा को तांबे का सिक्का या फिर तांबे की वस्तु में हलवा या फिर मेवे का भोग लगाएं।
- मां की पूजा करते समय “ॐ अँ अंगारकाय नमः” का जाप करें।
मां की उपासना का मंत्र-
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।