चैतन्य भारत न्यूज
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस साल गुरु पूर्णिमा 05 जुलाई को मनाई जाएगी। बता दें इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था, जिसके चलते इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। पुराने समय में गुरुकुल में रहने वाले विद्यार्थी गुरु पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से अपने गुरु की पूजा-अर्चना करते थे।
गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरुओं को भेंट भी देते हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं गुरु की उपासना कैसे करें और अगर आपके गुरु नहीं हैं तो क्या करें?
कैसे करें गुरु की उपासना
- गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को उच्च आसन पर बैठाएं।
- इसके बाद उनके चरण जल से धुलाएं और पोंछे।
- उनके चरणों में पीले या सफेद पुष्प अर्पित करें ।
- इसके बाद उन्हें श्वेत या पीले वस्त्र दें।
- इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करें- ‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’
- गुरु से अपना दायित्व स्वीकार करने की प्रार्थना करें।
अगर आपके गुरु नहीं हैं तो ऐसे करें उपासना-
- अगर आपके गुरु का निधन हो गया है तो आप उनकी तस्वीर की विधिवत पूजा कर सकते हैं।
- इसके अलावा अगर गुरु न हों तो शिव जी को ही गुरु मानकर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाना चाहिए। मान्यता है कि, हर गुरु के पीछे गुरु सत्ता के रूप में शिव जी ही हैं।
- आप श्रीकृष्ण को भी गुरु मान सकते हैं।
- कमल के पुष्प पर बैठे हुए श्रीकृष्ण या शिव जी का ध्यान करें।
- मानसिक रूप से उनको पुष्प, मिष्ठान तथा दक्षिणा अर्पित करें।
- इसके बाद स्वयं को शिष्य के रूप में स्वीकार करने की प्रार्थना करें।