चैतन्य भारत न्यूज
हिन्दू धर्म में गुरु पूर्णिमा को बहुत खास माना गया है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 16 जुलाई को है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन गुरु की पूजा की जाती है।
महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म गुरु पूर्णिमा के दिन हुआ था। वह संस्कृत के विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की रचना की थी, इसलिए उन्हें वेद व्यास के नाम से भी जाना जाता है। उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। बता दें, गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी है। इस दिन चंद्र ग्रहण का सूतक शुरु हो जाएगा, जिसके चलते पूजा के समय में बदलाव हुआ है।
गुरु पूर्णिमा की पूजा का समय
गुरु पूर्णिमा 16 जुलाई को 1 बजकर 50 मिनट से 17 जुलाई की 3 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। वहीं चंद्रग्रहण का सूतक 16 जुलाई को शाम 4:30 बजे से ही लग जाएगा। ऐसे में गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण होने से पूजा कार्यक्रम भी प्रभावित होंगे। मान्यता है कि, चंद्रग्रहण के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। चंद्रग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है। इसलिए इस दिन आप 4 बजे तक गुरु पूजन समाप्त कर दें।
गुरू पूर्णिमा के दिन इन मंत्रों का जाप करें-
- ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।
- ॐ गुरुभ्यो नम:।
- ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।
- ॐ गुं गुरुभ्यो नम:।