चैतन्य भारत न्यूज
हिंदी सिनेमा की जानी-मानी अदाकारा शर्मिला टैगोर 8 दिसंबर को अपना जन्मदिन मनाती हैं। 60-70 के दशक में शर्मिला ने एक के बाद एक कई शानदार फिल्में दी थीं। फिल्म ‘कश्मीर की कली’ ने शर्मिला के करियर को बुलंदियों पर पहुंचा दिया था। आज हम आपको बताने जा रहे हैं शर्मिला की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं।
शर्मिला टैगोर का जन्म 8 दिसंबर 1944 को हैदराबाद में एक हिंदू बंगाली परिवार में हुआ था। शर्मिला एक नामी खानदान से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिताजी गितिन्द्रनाथ टैगोर एल्गिन मिल्स के ब्रिटिश इंडिया कंपनी के मालिक के महाप्रबंधक थे। शर्मिला टैगोर की गणना अभिजात्य-वर्ग (नवाब) की नायिकाओं में की जाती है।
शर्मिला ने अपने जीवनसाथी के रूप में मशहूर क्रिकेटर और भारतीय टीम के कप्तान रहे मंसूर अली खान पटौदी को चुना। मंसूर अली खान पटौदी से शर्मिला की पहली मुलाकात उनके कोलकाता स्थित घर पर ही हुई थी। शर्मिला को मंसूर अली खान से शादी करने के लिए इस्लाम धर्म अपनाना पड़ा था।
शादी से पहले नवाब की मां की इच्छा के मुताबिक, शर्मिला को कलमा पढ़ाकर मुस्लिम बनाया गया। उनका नाम ‘आयशा सुल्ताना’ रखा गया। यह नाम सिर्फ निकाहनामे पर ही इस्तेमाल हुआ।
हालांकि अब तक वह पूरी दुनिया के लिए शर्मिला टैगोर ही बनी रहीं। 70 साल की आयु में पटौदी का निधन हो गया। शर्मिला और पटौदी के तीन बच्चे हैं -सैफ अली खान, सबा अली खान और सोहा अली खान।
‘आराधना’, ‘अमर प्रेम’, ‘सफर’, ‘कश्मीर की कली’, ‘मौसम’, ‘तलाश’,’वक्त’,’फरार’, ‘आमने-सामने’ जैसी फिल्में शर्मिला के बेहतरीन अभिनय की कहानी बयां करती हैं। फिल्म ‘सावन की घटा’ में शर्मिला ने छोटे कपड़े पहनकर सेंसेशन मचा दिया था।
उस दौर के दर्शक मीना कुमारी, माला सिन्हा, वहीदा रहमान के परिचित चेहरों से बाहर आकर कुछ नया महसूस करना चाहते थे। ऐसे में शर्मिला ने सिर पर पल्लू धारण करने वाली और ललाट पर बड़ा-सा लाल टीका लगाने वाली नायिकाओं से हटकर कुछ नया किया था। इसके साथ ही फिल्मों में ग्लैमर का प्रवेश हो गया।
शर्मिला को साल 2013 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण से नवाजा जा चुका है। साथ ही उन्हें बेहतरीन अभिनय के लिए दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और दो बार फिल्मफेयर पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।