चैतन्य भारत न्यूज
बदलती दिनचर्या के चलते लोग तेजी से दिल की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। दिल ही है जो हमारी शरीर की नसों में खून पहुंचाता है। इन नसों में जब रूकावट या कोई बाधा आती है तो दिल का दौरा पड़ता है। ऐसे में स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने अपने एक अध्ययन में कहा कि, ज्यादा घंटे काम करने की मजबूरी और आस-पड़ोस में ज्यादा शोरगुल होने के कारण गरीब तबके खासकर मजदूर वर्ग से आने वाले लोगों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा 50 फीसदी अधिक होता है।
दरअसल गरीब लोगों को अमूमन दिल का दौरा कम पड़ता है क्योंकि एक साधारण अमीर व्यक्ति की तुलना में उनका शरीर ज्यादा क्रियाशील होता है। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा नहीं है। उनका मानना है कि, एक दिन में एक आम इंसान को 6 घंटे की नींद लेना स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी होता है। ऐसा न होने पर दिल का दौरा पड़ने का खतरा 13 फीसदी तक बढ़ जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, मजदूर वर्ग के लोगों का रहन-सहन उस स्तर का नहीं होता कि वह चैन से सो सके। वे सुबह काम की चिंता और शहरों के शोरगुल से अपनी नींद भी पूरी नहीं कर पाता। विशेषज्ञों ने कहा कि, नींद से कार्डियोवास्कुलर सिस्टम को आराम मिलता है। इसकी कमी बीपी बढ़ाती व मेटाबॉलिज्म को बदल देती है। ये दोनों ही दिल का दौरा पड़ने का प्रमुख कारक है।
महिलाओं में 53% दिल के दौरे का खतरा
लॉसन में यूनिवर्सिटी सेंटर ऑफ जनरल मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के शिक्षाविदों ने इंग्लैंड, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और पुर्तगाल के डेटा का प्रयोग अध्ययन में किया है। कम आय वाले पुरुषों का हृदय रोग से पीड़ित होने का खतरा 48 फीसदी पाया गया। जबकि महिलाओं के लिए यह 53 फीसदी था। रिपोर्ट के मुताबिक, हर तीन में से एक व्यक्ति अनिद्रा का शिकार होता है।
वैज्ञानिकों ने अनिद्रा और इससे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर ही करीब 1.10 लाख लोगों पर अध्ययन किया है। जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि, लोगों की नींद में किसी प्रकार का व्यवधान न पड़े, इसलिए सभी घरों में डबल ग्लेज्ड विंडो लगाने चाहिए। इसके अलावा हवाई अड्डों या राजमार्ग सड़कों के किनारे घरों के निर्माण से परहेज करना चाहिए।