चैतन्य भारत न्यूज
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को शहर के पुलिस कमिश्नर से यह जानना चाहा कि एफआईआर में उर्दू या फारसी के शब्दों का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है? जबकि शिकायतकर्ता इन शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते हैं। कोर्ट ने कहा कि एफआईआर में भारी-भरकम शब्दों के बजाय सामान्य भाषा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
चीफ जस्टिस डी. एन. पटेल और जस्टिस सी. हरि शंकर की बेंच ने दिल्ली पुलिस से कहा कि, एफआईआर शिकायतकर्ता के शब्दों में होनी चाहिए। ऐसी भारी-भरकम और लच्छेदार भाषा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, जिनका अर्थ शब्दकोश में ढूंढना पड़े। पुलिस आम आदमी का काम करने के लिए है, सिर्फ उन लोगों के लिए नहीं जिनके पास उर्दू या फारसी में डॉक्टरेट डिग्री है।
कोर्ट ने कहा कि, लिखी हुई बातें लोगों को समझ आना चाहिए। यह बात अंग्रेजी पर भी लागू होती है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा कि उर्दू और फारसी शब्दों का इस्तेमाल पुलिस करती है या शिकायतकर्ता। इस मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी।
बता दें अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दिल्ली पुलिस को एफआईआर में उर्दू या फारसी के शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश देने की मांग की गई है। दिल्ली पुलिस के वकील ने सुनवाई के दौरान दावा किया था कि एफआईआर में इस्तेमाल होने वाले उर्दू और फारसी शब्दों को थोड़े प्रयास के बाद समझा जा सकता है।