चैतन्य भारत न्यूज
इस साल होलिका दहन 28 मार्च को है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली में जितना महत्व रंगों का है उतना ही महत्व होलिका दहन का भी है। रंग वाली होली से एक दिन पहले होली जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। आइए जानते हैं होलिका दहन का महत्व और शुभ मुहूर्त।
होलिका दहन का महत्व
हिंदू धर्म के मुताबिक, हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात्रि को होलिका दहन किया जाता है। इस बार होलिका दहन 28 मार्च को किया जाएगा, जबकि रंगों वाली होली यानी धुलेंडी 10 मार्च को है। होलिका दहन की अग्नि को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। होलिका दहन की राख को लोग अपने शरीर और माथे पर लगाते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से कोई बुरा साया आसपास भी नहीं भटकता है। होलिका दहन बताता है कि बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, वो अच्छाई के सामने टिक नहीं सकती और उसे घुटने टेकने ही पड़ते हैं।
पूजा सामग्री
एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध, फूल, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल आदि। इसके अलावा नई फसल के धान्यों जैसे पके चने की बालियां व गेहूं की बालियां भी सामग्री के रूप में रखी जाती हैं।
होलिका दहन पूजा-विधि
- पूजा करने वाले व्यक्ति को होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बैठना चाहिए।
- इसके बाद होलिका के पास गोबर से बनी ढाल तथा खिलौने को रखा जाता है।
- जल, मौली, फूल, गुलाल व खिलौनों की चार मालाएं अलग से घर में लाकर सुरक्षित रख ली जाती हैं।
- इसके बाद कच्चे सूत्र लें उसे होलिका के चारों तरफ तीन या 7 परिक्रमा करते हुए लपेटे।
- इसके बाद लोटे में भरे हुए शुद्ध जल व अन्य सभी सामग्रियों को एक एक करते होलिका को समर्पित करें।
- होलिका दहन के बाद उसकी अग्नि में कच्चे आम, नारियल, भुट्टे, चीनी के खिलौने, नई फसल के कुछ भाग की आहुति दी जाती है। इसी के साथ गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर भी जरूर अर्पित करें।
- मान्यता है कि होलिका दहन के बाद जली हुई राख को घर लाना शुभ माना जाता है।
- अगले दिन सुबह-सवेरे उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर पितरों का तर्पण करें।
- घर के देवी-देवताओं को अबीर-गुलाल अर्पित करें।
- अब घर के बड़े सदस्यों को रंग लाकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
होलिका दहन शुभ मुहूर्त
इस बार प्रदोष काल में भद्रा का साया नहीं होना बहुत दुर्लभ और शुभ संयोग है। ऐसे में शाम 6 बजकर 36 मिनट से 8 बजकर 30 मिनट तक शुभ योग और 8 बजकर 3 मिनट से रात 9 बजकर 30 मिनट तक अमृत काल का शुभ संयोग रहेगा। इस दौरान होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत उचित रहेगा।