चैतन्य भारत न्यूज
कोरोना वायरस महामारी दुनियाभर में तेजी के साथ लोगों को अपनी चपेट में लेती जा रही है। सभी के मन में यह सवाल है कि आखिर कब तक कोविड-19 वैक्सीन मिलेगी और वे इस महामारी से बेखौफ होकर अपना काम कर पाएंगे। इसी बीच वैक्सीन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक बुरी खबर दी है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि हमें अगले साल के मध्य तक बड़े पैमाने पर कोरोना वैक्सीनेशन की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। क्योंकि दुनिया में बन रही सभी वैक्सीन के परीक्षण अभी बाकी हैं। कोरोना को रोकने में उनकी क्षमता का सही अंदाजा किसी भी देश ने नहीं लगाया है।
A World Health Organization (WHO) spokesperson has said that it does not expect widespread vaccinations against #COVID19 until mid-2021, reports Reuters pic.twitter.com/ckvTQM8UfX
— ANI (@ANI) September 4, 2020
जेनेवा में एक ब्रीफिंग के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए प्रवक्ता मारग्रेट हैरिस ने कहा- अगले साल के मध्य से पहले तक हम दुनियाभर में व्यापक रूप से कोविड-19 वैक्सीन की उपलब्धता की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। उन्होंने वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल्स का हवाला देते हुए कहा- ‘तीसरा चरण लंबा होगा क्योंकि हमें यह देखने की जरूरत है कि कितना ये हकीकत में सुरक्षा करती है और यह कितना सुरक्षित है।’
मारग्रेट हैरिस ने कहा कि, दुनियाभर में बन रही कोरोना वैक्सीन एडवांस क्लीनिकल ट्रायल में हैं लेकिन किसी भी वैक्सीन ने अभी तक कोरोना को रोकने की 50 फीसदी क्षमता का प्रदर्शन नहीं किया है। जबकि, कोरोना काल में किसी भी वैक्सीन से यह उम्मीद तो की जाती है कि कम से कम वह 50 फीसदी असरदार हो। रूस ने अपने कोविड-19 वैक्सीन को दो महीने से भी कम समय में ट्रायल करके एप्रूव कर दिया। जिसकी निंदा कई देशों के वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और सरकारों ने की है। वहीं, दूसरी तरफ अमेरिकी अधिकारियों और फाइजर दवा कंपनी ने कहा है कि, उनकी वैक्सीन अक्टूबर तक लोगों तक पहुंचने की स्थिति में आ जाएगी।
मारग्रेट हैरिस ने संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में कहा कि, ‘हम अगले साल के मध्य तक बड़े पैमाने पर कोरोना टीकाकरण की उम्मीद नहीं कर सकते क्योंकि दुनिया भर में बन रही सभी वैक्सीन का तीसरे स्टेज का ट्रायल काफी ज्यादा समय लेगा। इन परीक्षणों से ही पता चलेगा कि कोरोना की वैक्सीन कितनी कारगर है। हालांकि, हैरिस ने किसी भी वैक्सीन का नाम नहीं लिया।’
हैरिस ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया भर के अलग-अलग देशों में बन रही कोरोना वैक्सीन से संबंधित आंकड़ों और परिणामों को आपस में शेयर करना चाहिए। अभी तक लाखों लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है लेकिन हमें यह नहीं पता कि कौन सी वैक्सीन मानकों के अनुसार कितनी कारगर है।
WHO और GAVI मिलकर दुनिया भर में कोवैक्स (COVAX) नाम की वैक्सीन ईमानदारी के साथ बांटना चाहते हैं। GAVI एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। इसमें बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन भी शामिल है। इनका मकसद है कि वो सबसे ज्यादा प्रभावित देश और लोगों तक कोवैक्स नाम की वैक्सीन पहुंचाएं। खासतौर से फ्रंटलाइन वर्कर्स को ताकि वो कोरोना से बचे रहें और लोगों का इलाज करते रहें।
WHO चाहता है कि वह कोवैक्स (COVAX) वैक्सीन की 200 करोड़ से ज्यादा डोज लेकर साल 2021 के अंत पूरी दुनिया में बांटा जाए। लेकिन कुछ देशों ने द्विपक्षीय समझौते कर रखे हैं। जिसमें अमेरिका और रूस भी शामिल हैं। ये WHO की इस मुहिम में शामिल ही नहीं होना चाहते। वो अपने देश में बनी वैक्सीन को सबसे पहले अपने देश के लोगों को देना चाहते हैं। इससे WHO की वैश्विक मुहिम में बाधा पड़ रही है।