चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सेना में स्थाई कमीशन देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई और कहा कि, ‘महिलाओं को कमांड पोस्टिंग मिलनी चाहिए, ये उनका अधिकार है।’
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि, ‘सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति विकासवादी प्रक्रिया है।’ कोर्ट ने केंद्र को यह फैसला लागू करने के लिए तीन महीने की मोहलत दी।
We dispose off the petitions and necessary compliance of this court’s order within a period of 3 months, says Justice Chandrachud. https://t.co/dQYt7hwhhe
— ANI (@ANI) February 17, 2020
महिलाओं के लिए कमांड करना मुश्किल
बता दें कि केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। सरकार ने कहा था कि, ‘महिलाओं को कमांड पोस्टिंग नहीं दी जा सकती। सरकार का तर्क था कि, उसका दुश्मन देश फायदा उठा सकते हैं। सरकार साथ ही सेना के यूनिट में ज्यादातर जवान ऐसी पृष्टभूमि से आते हैं कि महिला के लिए कमांड करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
पुरुषों की तरह महिलाओं को सभी अधिकार मिले
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ‘इस मामले में महिलाओं के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। साथ ही कहा है कि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी अब सारे अधिकार मिलने चाहिए। महिलाओं के प्रति माइंडसेट बदलने की जरूरत है। 30 फीसदी महिलाएं मोर्चे पर तैनात है।’ कोर्ट ने ये भी कहा कि, ‘जिन महिला ऑफिसर ने 14 साल की सर्विस कर ली है, उन्हें 20 साल तक सेना में सेवा करने की अनुमति दी जाए। इसके अलावा ये भी कहा कि 20 की नौकरी के बाद उन्हें पेंशन की बी सारी सुविधाएं मिले।’
कैप्टन तान्या शेरगिल का दिया गया उदाहरण
कोर्ट ने केंद्र सरकार को कैप्टन तान्या शेरगिल का भी उदाहरण दिया और कहा कि, ‘स्थाई कमीशन देने से इनकार स्टीरियोटाइप्स पूर्वाग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं। केंद्र की दलीलें परेशान करने वाली हैं। महिला सेना अधिकारियों ने देश का गौरव बढ़ाया है।’