चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. ट्रेन में यात्रा करने वाले लोगों को ज्यादातर आरक्षित सीट न मिलने की शिकायत रहती है। लेकिन अक्टूबर तक यात्रियों की ये शिकायत कुछ हद तक कम होने की उम्मीद है। दरअसल रेलवे ने ऐसा उपाय निकाला है जिससे अक्टूबर से ट्रेनों में आरक्षित यात्रा के लिए रोजाना चार लाख से अधिक सीटें (बर्थ) बढ़ेंगी। ऐसे में यात्रियों को आसानी से आरक्षित सीटें मिल जाएंगी। इससे यात्रियों को भी किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी और रेलवे की भी आय में बढ़ोतरी होगी।
इस सुविधा के लिए रेल विभाग ऐसी तकनीक अपनाने जा रहा है जिससे डिब्बों में रोशनी और एयर कंडीशनिंग के लिए बिजली को लेकर अलग से पावर कार (जनरेटर डिब्बा) लगाने की जरूरत नहीं होगी बल्कि इस जरुरत को इंजन के माध्यम से ही पूरी कर लिया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, ‘लिंक हाफमैन बुश’ (एलएचबी) डिब्बों वाली हर ट्रेन में एक से दो जनरेटर बोगी लगी होती है। ये जनरेटर डीजल से चलते हैं और इससे सभी कोच में बिजली की सप्लाई की जाती है। इसे ‘एंड ऑन जनरेशन’ (ईओजी) तकनीक के तौर पर जाना जाता है। अधिकारियों ने कहा कि, ‘आने वाले समय में रेल विभाग दुनिया भर में प्रचलित ‘हेड ऑन जेनरेशन’ (एचओजी) तकनीक का इस्तेमाल शुरू करने जा रहा है। इस तकनीक में रेलगाड़ी के ऊपर से जाने वाली बिजली तारों से ही डिब्बों के लिए भी बिजली ली जाती है।’
अधिकारियों के मुताबिक, अक्टूबर महीने से भारतीय रेल के करीब 5,000 डिब्बे एचओजी तकनीक से परिचालित होने लगेंगे। इसके जरिए ट्रेनों में से जनरेटर बोगियों को हटा दिया जाएगा और उनके स्थान पर अतिरिक्त डिब्बे लगाए जाएंगे। इतना ही नहीं इससे रेलवे की ईंधन पर सालाना 6,000 करोड़ रुपए से अधिक की बचत होगी। अधिकारियों ने यह भी बताया कि, यह नई प्रणाली पर्यावरण अनुकूल भी है। इससे वायु और ध्वनि प्रदूषण नहीं होगा। साथ ही यह प्रत्येक रेलगाड़ी के हिसाब से कार्बन उत्सर्जन में 700 टन वार्षिक की कमी लाएगी।
अधिकारियों के मुताबिक, ‘उदाहरण के तौर पर देखे तो सभी शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन में दो जनरेटर बोगियां लगाई जाती हैं। जब हम एचओजी प्रणाली को इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे तो ऐसी ट्रेनों में स्टैंडबाय के लिए मात्र एक जनरेटर बोगी की जरूरत होगी।’