चैतन्य भारत न्यूज
भारत देश के सबसे स्वच्छ शहर के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाला इंदौर इन दिनों एक गलत आचरण के कारण चर्चा में बना हुआ है। दरअसल, इंदौर नगर निगम के कर्मचारी ने इस कड़ाके की ठंड में बेसहारा बूढ़े भिखारियों को डंपर में मवेशियों की तरह भरकर शहर के बाहर इंदौर-देवास सीमा पर शिप्रा नदी के पास छोड़ आए। मामला सामने आने के बाद से ही स्थानीय प्रशासन को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
इस मामले में प्रशासन की किरकिरी के बाद अधिकारी अब भगवान की शरण में पहुंच गए हैं। कलेक्टर मनीष सिंह ने रविवार को संकट चतुर्थी के मौके पर खजराना गणेश से इसके लिए माफी मांगी है। उन्होंने कहा, बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार पूरी तरह गलत था, क्योंकि अधिकारी होने के नाते ये हमारी जिम्मेदारी भी बनती है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। मनीष सिंह ने कहा, ‘इस मामले में भले ही किसी भी व्यक्ति की गलती रही हो। लेकिन हम अधिकारी हैं और अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। इसलिए हमने ईश्वर से प्रार्थना की है कि वह हमें हमारी गलतियों के लिए क्षमा करें।’
निगम कर्मचारियों ने बुजुर्गों को इस तरह गाड़ी में भरा कि वे सभी एक के ऊपर एक लदे हुए थे। इनमें से कई बुजुर्ग तो चल-फिर भी नहीं सकते थे। वहां मौजूद लोगों ने इस अमानवीय हरकत का विरोध किया तो कर्मचारी घबरा गए। जब ये खबर सुर्खियों में आई, तो निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल ने रैन बसेरा के दो कर्मियों को बर्खास्त कर दिया।
घटना पर सरकार की किरकिरी होती देख मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बचाव के लिए सामने आना पड़ा। उन्होंने मामले की जानकारी लेने के बाद निगम उपायुक्त प्रताप सोलंकी को निलंबित करने के निर्देश दे दिए। सोलंकी को नगरीय विकास संचालनालय भोपाल अटैच कर दिया गया।
फिल्म अभिनेता सोनू सूद से लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत हजारों लोग सोशल मीडिया पर इस मामले में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर चुके हैं।