चैतन्य भारत न्यूज
शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी होता है। इसी के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन दुनियाभर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूक किया जाता है। जब तक व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होगा तब तक वो अपनी क्षमता से अधिक कार्य नहीं कर सकेगा।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य और इतिहास
साल 1992 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ ने दुनिया को मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरुआत की थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में हर चार व्यक्तियों में से एक व्यक्ति मानसिक विकार से प्रभावित है। दुनियाभर में बढ़ते आत्महत्या के मामलों को देखते हुए इस बार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की थीम आत्महत्या की रोकथाम रखी गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर साल दुनियाभर में आत्महत्या से 800,000 से ज्यादा लोग लोग मर जाते हैं। इनमें से 19 साल से लेकर 30 साल के बीच के लोग अधिक आत्महत्या करते हैं। आत्महत्या करने के कई ऐसे मानसिक विकार हो सकते हैं, जिनके बारे में जानना बेहद जरुरी है।
मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर
आम भाषा में इसे डिप्रेशन कहा जाता है। यह बेहद गंभीर मानसिक बीमारी है। आप कैसा महसूस करते हैं, क्या सोचते हैं और सभी से कैसे पेश आते हैं, यह बीमारी इन सब पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। डिप्रेशन में इंसान महीनों, यहां तक कि सालों तक उदास महसूस कर सकता है। इस बीमारी में रोगी के परिवार के सदस्य या उसके दोस्त उपचार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इलाज के अलावा वे उसे प्रेरित कर डिप्रेशन से बाहर लाने में मदद कर सकते हैं।
सिजोफ्रेनिया
यह भी एक गंभीर मानसिक बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति वास्तविकता की व्याख्या करने में असमर्थ होता है। वे भ्रम, मतिभ्रम और अव्यवस्थित सोच का अनुभव करते हैं। इस बीमारी के लक्षण काफी गंभीर होते हैं। इस बीमारी में परिवार और दोस्तों से दूरी, प्रेरणा की कमी और नींद न आने की समस्या जैसे आम हैं। दवा, मनोवैज्ञानिक परामर्श और स्वयं सहायता संसाधन सिजोफ्रेनिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर
इस बीमारी में जुनूनी विचार और चीजों को एक निश्चित तरीके से देखने जैसे लक्षम शामिल हैं। जो भी लोग इस बीमारी के शिकार होते हैं वह हर चीज को अलग तरह से देखते हैं। साथ ही उन्हें ऐसे भी विचार आते हैं जो बेकाबू होते हैं और या फिर कुछ चीजें करने के लिए बेताब हो जाते हैं। जैसे कि बार-बार या फिर लगातार हाथ धोना, अपने शरीर को चेक करते रहना, आदि।
लगातार अवसादग्रस्त रहना
इस बीमारी को डिस्थीमिया भी कहा जाता है। दरअसल इस अवस्था में एक इंसान लगातार अवसाद में रहता है। उसे लगातार उदासी, उत्पादकता में कमी, कम ऊर्जा, निराशा, भूख में बदलाव, कम आत्मविश्वास और खराब आत्मसम्मान की भावना महसूस होती है। साथ ही दर्दनाक जीवन की घटनाएं, निरंतर चिंता भी विकार का मुख्य कारण है।
बायपोलर डिसऑर्डर
बायपोलर डिसऑर्डर एक प्रकार की मानसिक बीमारी है, जिसमें अचानक मूड में बदलाव होते हैं। बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति कई तरह की भावनाओं से गुजरता है, कभी अत्यधिक उत्तेजना, गहरी उदासी, आत्मघाती विचार, ऊर्जा की कमी जैसे अनुभव होते हैं। बता दें अत्यधिक तनाव, शारीरिक बीमारी, दर्दनाक अनुभव और आनुवांशिकी, बायपोलर डिसऑर्डर के विकास को बढ़ावा देता है।